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Transgender: आखिर किन्नर समाज 'रात' में क्यों करता है अंतिम संस्कार, क्या मरने के बाद वाकई में जश्न मनाया जाता है?

Transgender: हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की दुआओं में काफी शक्ति होती है। हिंदू धर्म में कोई भी जब सुबह कार्य होता है तो हम किन्नरों को जरूर इनवाइट करते हैं।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: August 24, 2022 15:57 IST
Transgender- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Transgender

Highlights

  • अपनी मृत्यु का आभास हो जाता है
  • मृत शरीर को जूते चप्पलों से पीटा भी जाता है
  • अगले जन्म में हमें किन्नर न बनाए

Transgenderहिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की दुआओं में काफी शक्ति होती है। हिंदू धर्म में कोई भी जब सुबह कार्य होता है तो हम किन्नरों को जरूर इनवाइट करते हैं। आपने देखा होगा कि किसी के घर में जब बच्चा होता है तो ढेर सारी बधाइयां दी जाती है साथ ही साथ किन्नरों के द्वारा भी आशीर्वाद लिया जाता है। वहीं जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो आप देखते हैं कि उनके शव यात्रा में हजारों लोगों की भीड़ जूटी होती है और श्मशान घाट पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचकर मृत शरीर का दाह संस्कार करते हैं लेकिन आपने कभी सोचा है कि इसी समाज में रहने वाले किन्नर समाज में जब किसी की मृत्यु होती है तो उनका अंतिम संस्कार रात में किया क्यों किया जाता है। इसके अलावा मरने के बाद किन्नर समाज जशन भी मनाता है और मृत शरीर को जूते चप्पलों से पीटा भी जाता है आखिर किन्नर समाज ऐसा क्यों करता है इसके बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे। 

आखिर क्यों करते हैं रात में अंतिम संस्कार? 

किन्नरों के मुताबिक, उनको अपनी मृत्यु का आभास हो जाता है। जिसके बाद से वह खाना बंद कर देते हैं और कहीं बाहर नहीं जाते हैं। इस दौरान वह ईश्वर में विलीन हो जाते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि इस जन्म में किन्नर तो हुए लेकिन अगले जन्म में हमें किन्नर न बनाए। किन्नर मृत शरीर को जलाने के बजाय वह दफनाते हैं। मृत शरीर को वो कफ़न से लपेटते हैं लेकिन किसी चीज से वह बांधते नहीं है उनका मानना होता है कि ऐसे में आत्मा को आजाद होने में कष्ट होता है इसलिए सिर्फ कफ़न लपटते हैं।  किन्नर समाज का मानना है कि रात में इसलिए हम सब अंतिम क्रिया करते हैं ताकि कोई इंसान उसे देख ना पाए क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर कोई इंसान किन्नर के शव को देख ले तो वह अगले जन्म में किन्नर ही बनेगा। इसी कारण से पूरी अंतिम क्रिया को रात में किया जाता है।

क्या शव को पीटते भी है किन्नर?
किन्नर मृत के बाद शव को जूते चप्पल से पीटते हैं। उनका मानना होता है कि अगले जन्म में इस योनि में जन्म ना मिले। इसके अलावा अपने आराध्य देवता का बहुत ध्यान करते हैं और साथ ही साथ दान पुण्य भी करते हैं। इसके अलावा जश्न मनाते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में इस नर्क रुपी जीवन ना मिले। साथ ही साथ वह 1 सप्ताह तक भूखे रहते हैं। 

 

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