Highlights
- दफ्तर में काम करने वाले युवक-युवतियों में बढ़ रहा मून लाइटिंग का चलन
- सरकार मून लाइटिंग की युवाओं को दे सकती है छूट
- कंपनियां अपने कर्मचारियों के मून लाइटिंग का कर रही हैं विरोध
Moon Lighting: क्या मून लाइटिंग के बारे में आपने कभी सुना है। नाम से तो यह भी कैंडिल लाइटिंग जैसा ही आपको कुछ लग रहा है। क्या मून लाइटिंग भी कैंडिल लाइटिंग जैसी कोई रोमांस से जुड़ी चीज है, जिसे लेकर आज देश भर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं या फिर ये कुछ और है। आखिर मून लाइटिंग से युवाओं का क्या नाता है। युवाओं को मून लाइटिंग की छूट क्यों नहीं है। मून लाइटिंग का विरोध कौन कर रहा है और अब सरकार ने युवाओं को मून लाइटिंग कर सकने की छूट देने का संकेत क्यों दिया है। इसके पीछे की वजह क्या है। आइए आपको मूनलाइटिंग से जुड़े हर सवाल का जवाब देते हैं।
दरअसल मूनलाइटिंग की चर्चा देश में तब शुरू हुई जब हाल ही में कई नामी-गिरामी कंपनियों ने अपने यहां काम करने वाले युवाओं और युवतियों पर मून लाइटिंग का गंभीर आरोप लगाया। कंपनियों ने कहा कि हमारे यहां काम करने वाले युवक और युवती चोरी-छिपे मून लाइटिंग कर रहे हैं। कई कंपनियों ने चोरी-छिपे मून लाइटिंग करने वाले अपने युवा कर्मचारियों पर निगरानी करनी शुरू कर दी। इसके बाद कई युवा-युवती इस काम को करते पाए गए।
मून लाइटिंग में एक ही झटके में 300 की गई नौकरी
देश की जानी-मानी कंपनी विप्रो ने मून लाइटिंग के आरोप में एक ही झटके में 300 युवक और युवतियों को अपनी कंपनी से बाहर निकाल दिया। युवाओं ने कभी सोचा भी नहीं रहा होगा कि इस तरह मून लाइटिंग के आरोप में उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। इसके बाद कई अन्य कंपनियों ने भी चोरी-छिपे मून लाइटिंग करने वाले युवाओं और युवतियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है। इससे युवाओं पर रोजी रोटी का संकट आ गया है। ऐसे में देश भर में एक नई बहस शुरू हो गई है कि क्या किसी संस्थान में ड्यूटी के दौरान युवक-युवतियां अपनी इच्छा से मून लाइटिंग नहीं कर सकते हैं?
सरकार ने कहा कि मून लाइटिंग बुरी बात नहीं
इलेक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि किसी भी कंपनी में काम कर रहे युवक-युवती यदि स्वेच्छा और अपनी सामर्थ्य से समय निकाल कर मून लाइटिंग कर रहे हैं तो इससे किसी भी कंपनी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वह कंपनी को अपना पूरा समय दे रहे हैं। इससे कंपनी का कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है तो मून लाइटिंग करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह बात कंपनी संचालकों को समझना होगा। आज के समय में युवा-युवती बेहद आधुनिक दौर में हैं। इसलिए वह मून लाइटिंग करना चाहते हैं। इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मून लाइटिंग से युवाओं और युवतियों की जिंदगी और खुशहाल रह सकेगी। भविष्य में मून लाइटिंग ही सच्चाई होगी। इससे कोई मुंह नहीं मोड़ सकता।
युवाओं के तौर-तरीकों में बदलाव से हो रही मून लाइटिंग
राज्यमंत्री ने कहा कि आज के युवाओं और युवतियों के काम करने के तौर-तरीके बदल गए हैं। इसलिए काम के साथ मून लाइटिंग के लिए समय निकालना वक्त की जरूरत बनता जा रहा है। कोरोना काल में जब वर्क फ्रॉम होम का कल्चर आया तो उसके बाद मून लाइटिंग का दौर भी बढ़ा। यह युवाओं का आत्म विश्वास है कि किसी कंपनी में वह काम कर रहे हैं तो वहां का कामकाज प्रभावित किए बिना वह मून लाइटिंग के लिए समय निकाल पा रहे हैं।
क्या है मून लाइटिंग
आइए अब आपको बताते हैं कि मून लाइटिंग है क्या, जिसे लेकर कंपनियां विरोध कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने इसका एक तरह से समर्थन कर दिया है। युवक और युवती भी मून लाइटिंग कर सकने की छूट चाहते हैं। यदि आप किसी कंपनी में काम कर रहे हैं और उस दौरान एक या एक से अधिक कई अन्य कंपनियों में भी भिन्न-भिन्न समय पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो इसे मून लाइटिंग कहा जाता है। आम तौर पर कोई भी कंपनी अपने कर्मचारी को इसकी इजाजत नहीं देती है। यदि आप किसी कंपनी में आठ घंटे काम करके फ्री हो जा रहे हैं और उसके बाद बचे समय में आप किसी दूसरी कंपनी के लिए कुछ करना चाहते हैं तो भी यह मून लाइटिंग के दायरे में आता है। यानि किसी एक कंपनी के साथ काम करते हुए आप दूसरी कंपनी के लिए 24 घंटे में किसी भी वक्त कार्य नहीं कर सकते। यह मून लाइटिंग है। कंपनी इसके लिए आपको बाहर का रास्ता दिखा सकती है।