Highlights
- सुप्रीम कोर्ट ने संसद को मैरिटल रेप पर कानून बनाने पर विचार करने को कहा
- अमेरिका, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों में मैरिटल रेप है अपराध
- भारत समेत 34 विकासशील देशों में मैरिटल रेप है अपराध की श्रेणी से बाहर
Marital Rape:पति का पत्नी के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाना या पत्नी का पति से उसकी अनिच्छा के बावजूद संभोग करना क्या मैरिटल रेप (वैवाहिक दुष्कर्म) की श्रेणी में आना चाहिए?.... यह एक ऐसा सवाल है जिसने पूरे देश में नई बहस छेड़ दी है। क्या भारतीय समाज में इसे स्वीकार किया जाना ठीक है या इसको नजरंदाज करना किसी के साथ हो रहे अपराधों या जबरदस्ती के प्रति आंखें बंद कर लेना है?.... बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर संसद को कानून बनाने के बारे में विचार करने की सलाह देकर यह साफ कर दिया है कि भारत में इस मुद्दे को अब और अधिक नजरंदाज नहीं किया जा सकता। यानि यह अब अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है। मगर आइए अब आपको बताते हैं कि मैरिटल रेप पर अन्य देशों के कानून क्या कहते हैं....?
मैरिटल रेप का मामला सबसे पहले उस दौरान चर्चा में आया जब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद भिन्न राय दी। दोहरी बेंच के दोनों जजों की राय इस गंभीर मसले पर अलग-अलग थी। इसके बाद यह मामला सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। अब देश की शीर्ष अदालत ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (एमटीपी) पर फैसला देते हुए कहा कि वैवाहिक बलात्कार को जब तक अपराध की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता, तब तक एमटीपी अधिनियम का मकसद पूरा नहीं होगा। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संसद को बेहतर कानून बनाने का सुझाव भी दे दिया है। इसके बाद पूरे देश में वैवाहिक बलात्कार को लेकर एक नई चर्चा का दौर शुरू हो गया है। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेंस एसोसिएशन व एनजीओ आरआइटी फाउंडेशन ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
वैवाहिक बलात्कार पर अन्य देशों का रुख
दुनिया के 185 देशों में से 77 देश वैवाहिक बलात्कार को कानूनन अपराध मानते हैं। जबकि 74 देश महिलाओं को अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकने की अनुमति देते हैं। वहीं दूसरी ओर एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के अनुसार 34 देशों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें भारत भी शामिल है। बाकी अन्य विकासशील देश हैं।
इन देशों में मैरिटल रेप नहीं है अपराध
भारत के साथ पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, लाओस, हैती, म्यांमार, माली, इथियोपिया, कुवैत, श्रीलंका, यमन, बहरीन, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, मंगोलिया, ओमान, दक्षिण सूडान, मिस्र, कोटे डी आइवर, लीबिया, सिंगापुर, युगांडा, अल्जीरिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, सेनेगल, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, बोत्सवाना, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, ईरान, लेबनान, मलेशिया, नाइजीरिया इत्यादि ऐसे देश हैं, जहां मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाता।
इन बड़े देशों में मैरिटल रेप है अपराध
संयुक्त राज्य अमेरिका
यहां वर्ष 1993 से ही अमेरिका के सभी 50 राज्यों में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित कर दिया गया था। यह बात अलग है कि विभिन्न राज्यों में कानून की परिभाषा भी अलग-अलग है।
यूनाइटेड किंगडम
वर्ष 2003 में यौन अपराध अधिनियम के तहत इसे यूके में भी अपराध घोषित कर दिया गया। इस मामले में दोषी पाए जाने वालों को आजीवन कारावास की सजा तक का प्रावधान है।
रूस
रूस महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर कानूनों में वैवाहिक छूट को हटाने वाले देशों में पहले स्थान पर है। यहां वर्ष 1922 में ही इस छूट को हटाकर मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रख दिया गया था।
दक्षिण अफ्रीका
पारिवारिक हिंसा निवारण अधिनियम के अनुच्छेद पांच के तहत दक्षिण अफ्रीका में 1993 से वैवाहिक बलात्कार अवैध माना जाता है।
जर्मनी
जर्मनी में वर्ष 1997 में पति-पत्नी के बलात्कार को केवल गैरकानूनी घोषित किया गया था। इसके लिए कई महिला मंत्रियों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने 25 से अधिक वर्षों तक पैरवी की थी।
सऊदी अरब
शरिया कानून के तहत, बलात्कार अपराध है लेकिन सऊदी अरब में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है।
संयुक्त अरब अमीरात
संयुक्त अरब अमीरात की दंड संहिता में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है। हालांकि वर्ष 2017 में एक दुर्लभ घटना में दुबई की एक अदालत ने एक पुलिसकर्मी को उसकी मंगेतर से बलात्कार के लिए छह महीने की सजा दी थी। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी ने तर्क दिया था कि अपराध के समय उसने दोनों को विवाहित मान लिया था।
कनाडा
कनाडा में वैवाहिक बलात्कार आपराधिक संहिता के अनुच्छेद 271 और 278 के तहत दंडनीय है। यहां पति या पत्नि की मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध नहीं बनाया जा सकता।
देश में 15 फीसद महिलाएं मैरिटल रेप की शिकार
पति या पत्नी की सहमति के बिना साथ यौन संबंध को वैवाहिक बलात्कार के रूप में जाना जाता है। इसे यौन शोषण और घरेलू हिंसा का एक रूप माना जाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि देश में 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं वैवाहिक बलात्कार की शिकार हुई हैं। इसीलिए अब इसे अपराध की श्रेणी में रखे जाने की बात हो रही है।
धारा 375 के तहत पुरुषों को विशेष छूट
भारत में धारा 375 इस अपराध को व्यक्त करती है। मगर यदि कोई पुरुष 18 वर्ष की पत्नी से उसकी इच्छा के विरुद्ध भी संभोग करता है तो इसे बलात्कार यानि मैरिटल रेप नहीं कहा गया है। ऐसी स्थिति में धारा 375 से छूट दी गई है। यह छूट पति को वैवाहिक अधिकार की अनुमति देती है। क्योंकि विवाह होना संबंध बनाने की एक तरह से कानूनी मंजूरी हो जाती है। ऐसे में पत्नी की सहमति या गैर सहमति से संबंध बनाना अपराध नहीं माना जाता। इसमें पति अपने इस अधिकार का प्रयोग तब कर सकता है, जब पत्नी उस पर इसका आरोप लगा रही हो। मगर अब नए परिप्रेक्ष्य में कानून में इसे किस प्रकार परिभाषित किया जाएगा, यह आने वाला वक्त बताएगा। इससे भारतीय समाज और देश की दिशा भी तय होगी।