Saturday, November 02, 2024
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MSP का सुझाव, अकाल से जूझते भारत की बदली तस्वीर, कौन थे महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन?

भारत के महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एमएस स्वामीनाथन को लोग ग्रेन गुरु से लेकर प्यार से एमएसएस भी कहा करते थे।

Written By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: February 09, 2024 13:50 IST
भारत के महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन- India TV Hindi
भारत के महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन

भारत के महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मृत्यु 28 सितंबर 2023 को गई है। अब केंद्र सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए इसकी जानकारी दी। भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन को पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानि किया जा चुका है। एमएस स्वामीनाथन को लोग ग्रेन गुरु से लेकर प्यार से एमएसएस भी कहा करते थे। 

पीएम मोदी बोले- मैं करीब से जानता था 

एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था।"

एमएस स्वामीनाथन के बारे में-

एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था। एमएस स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था। उनका जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। स्वामीनाथन की शुरुआती शिक्षा वहीं से हुई है। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां पार्वती थंगम्मल थीं। जब वो 11 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनके बड़े भाई ने उन्हें पढ़ाया। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज और बाद में कोयंबटूर के कृषि कॉलेज (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की। उन्होंने साल 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से कृषि विज्ञान (आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में विशेषज्ञता) में एमएससी और साल 1952 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से पीएचडी की।

देश में हरित क्रांति लाने का काम किया

स्वामीनाथन ने दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने का काम किया। हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने कैमिकल-जैविक तकनीक के उपयोग से धान और गेहूं के उत्पादन में भारी इजाफा लाने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप जाना जाता है। 

रिपोर्ट में सबसे चर्चित सुझाव MSP का था

साल 2004 में जब कांग्रेस की UPA सत्ता में थी। उस समय किसानों की स्थिति जानने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था, जिसका नाम नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF) था। इस आयोग के प्रमुख एमएस स्वामीनाथन को बनाया गया था। आयोग ने दो सालों में 5 रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट भी कहा जाता है। इस रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव दिए गए थे, जिससे किसानों की स्थिति को सुधारा जा सके। रिपोर्ट में सबसे बड़ा और चर्चित सुझाव MSP का था। इसमें कहा गया था कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसद लाभ मिलाकर MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिलना चाहिए। 

कई सम्मान से नवाजे जा चुके हैं स्वामीनाथन 

स्वामीनाथन को 1987 में कृषि के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार कहे जाने वाला प्रथम खाद्य पुरस्कार मिला था। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण तक से सम्मानित किया गया था। कृषि के क्षेत्र में स्वामीनाथन को 40 से अधिक पुरस्कार मिले थे। डॉ. एमएस स्वामीनाथन को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से 81 डॉक्टरेट उपाधियां मिली हैं। डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे और उन्होंने यहां भी खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे को उठाया। स्वामीनाथन ने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख पदों को संभाला था। वो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक (1961-1972), आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) नियुक्त किए गए थे।

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