Highlights
- गुजरात एटीएस ने किया तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार
- पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता हैं तीस्ता सीतलवाड़
- गुजरात दंगों में तीस्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
Teesta Setalvad: गुजरात एटीएस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को आज मुंबई में गिरफ्तार कर लिया। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में तीस्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर के सिलसिले में ये एक्शन लिया। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सीतलवाड़ को गुजरात पुलिस ने उनके सांताक्रूज स्थित आवास से हिरासत में लिया फिर बाद में गिरफ्तार कर लिया। तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के बाद ये जनना भी जरूरी हो जाता है कि तीस्ता सीतलवाड़ कौन हैं और आखिर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्या कहा कि उनकी गिरफ्तारी हो गई?
कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़
अहमदाबाद क्राइम द्वारा गिरफ्तार तीस्ता सीतलवाड़ एक पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता हैं। तीस्ता सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) नाम के एक NGO की सचिव हैं। यह संगठन 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे के पीड़ितों के लिए न्याय लड़ने के लिए स्थापित किया गया था। 9 फरवरी को महाराष्ट्र के मुंबई में जन्मी तीस्ता की पढ़ाई मुंबई में ही हुई। उनके पिता अतुल सीतलवाड़ पेशे से वकील थे। तीस्ता के दादा एमसी सीतलवाड़ भारत के पहले अटॉर्नी जनरल रहे। सीतलवाड़ के पति आनंद भी पत्रकार रहे हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ को साल 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने महाराष्ट्र में सार्वजनिक मामलों में पद्मश्री से सम्मानित किया था। इससे पहले उन्हें साल 2002 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें साल 2000 में प्रिंस कलॉस अवॉर्ड, 2003 में नूर्नबर्ग अतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार भी मिल चुका है।
तीस्ता के NGO की क्या है भूमिका
तीस्ता सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) नाम के एक NGO की सचिव हैं। गुजरात दंगे को लेकर कोर्ट में डाली गई याचिका में CJP एक सह-याचिकाकर्ता है जो नरेंद्र मोदी और 62 अन्य सरकारी अधिकारियों के 2002 के गुजरात दंगों में उनकी सहभागिता के लिए आपराधिक मुकदमा की मांग कर चुकी है। वहीं भाजपा कहती है कि तीस्ता सीतलवाड़ का संगठन नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए कांग्रेस द्वारा स्थापित या संचालित किया जा रहा है।
तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
साल 2002 के गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 55 राजनेताओं और अधिकारियों को मिली क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी ने याचिका दायर की थी। जकिया जाफरी के पति एहसान जाफरी की इन दंगों में मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कानून का दुरपयोग करना ठीक नहीं।
इतना ही नहीं इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच की तारीफ की और तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जितने लोग कानून का खिलवाड़ करते हैं उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ का नाम भी लिया और कहा कि सीतलवाड़ के खिलाफ और जांच की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मामले में को-पेटिशनर सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। कोर्ट ने तीस्ता की भूमिका की जांच की बात कही थी।
साल 2002 में गुजरात में क्या हुआ था?
गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग की इस घटना में 59 लोग मारे गए थे। गौर करने वाली बात ये थी कि मारे गए सभी लग कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। बस फिर क्या था, गोधरा कांड के बाद पूरा गुजरात जल उठा। आकंड़ों के मुताबिक इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गोधरा कांड के अगले दिन, यानी 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे, जो इसी सोसायटी में रहते थे। इन दंगों से राज्य में हालात इतने बिगड़ गए थे कि तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी।