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Story of Mahatma Gandhi's Lathi: गांधी जी की लाठी कहां से आई थी, क्या है इसकी पूरी कहानी

Gandhi Jayanti: पूरे भारत में आज गांधी जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर हर कोई अपने अंदाज में महात्मा गांधी को याद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने मोदी ने भी बापू को उनके जयंती पर याद किया। पीएम ने ट्विट करते हुए लिखा कि "राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी जन्म-जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Oct 02, 2022 22:30 IST, Updated : Oct 02, 2022 22:30 IST
Gandhi Jayanti
Image Source : INDIA TV Gandhi Jayanti

Highlights

  • साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक चली 400 किलोमीटर की लंबी यात्रा
  • प्रतिदिन 10 से 12 किलोमीटर पैदल चला करते थे
  • लंबी यात्रा करना काफी मुश्किल भरा होगा

Gandhi Jayanti: पूरे भारत में आज गांधी जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर हर कोई अपने अंदाज में महात्मा गांधी को याद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने मोदी ने भी बापू को उनके जयंती पर याद किया। पीएम ने ट्विट करते हुए लिखा कि "राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी जन्म-जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। इस बार जयंती विशेष है क्योंकि भारत के आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। बापू के आदर्शों का हमेशा पालन करें। मैं आप सभी से यह आग्रह भी करता हूं कि खादी और हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदें और गांधी जी को श्रद्धासुमन अर्पित करें।" 

कहां से आई बापू की लाठी 

महात्मा गांधी से जुड़ी आपको एक रोचक जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। आपने महात्मा गांधी की फोटो अगर देखी होगी तो उनके हाथ में हमेशा एक लाठी होता था। क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी की लाठी कहां से आई थी। क्या था उस लाठी का इतिहास जिसे बापू हमेशा अपने साथ रखा करते थे। तो चलिए जानते हैं लाठी से जुड़ी हर कहानी।

दांडी मार्च से जुड़ी कहानी 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विचारों की चर्चा पूरी दुनिया भर में होती है। उनके विचार को फॉलो करने वाले दुनिया भर में उनके समर्थक है। वहीं दूसरी तरफ उनके सादगी भरे जीवन की लोग प्रशंसा करते हुए नहीं थकते हैं। गांधी जी अक्सर धोती में दिखा करते थे और उनके साथ एक लाठी होती थी। आपको बता दें कि साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक चली 400 किलोमीटर की लंबी पैदल दांडी यात्रा के बारे में आपने पढ़ा ही होगा। 

गांधी जी को दी सलाह 

इतिहासकारों के मुताबिक, गांधीजी समान्य रूप से प्रतिदिन 10 से 12 किलोमीटर पैदल चला करते थे। ऐसा माना जाता था कि गांधी पैदल चलने में काफी विश्वास रखते थे और उन्हें अच्छा भी लगता था। वह सेहत को लेकर हमेशा जागरूक रहते थे इसलिए पैदल चलने के लिए लोगों को भी सलाह दिया करते थे। जब गांधी दांडी यात्रा की तैयारियों में जुटे हुए थे तब मशहूर लेखक और क्रांतिकारी काका कालेकर उनसे मिलने आए। गांधी से अपनी चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि इतनी लंबी यात्रा करना काफी मुश्किल भरा होगा। तभी काका ने राष्ट्रपिता को लाठी के साथ चलने के लिए सलाह दी। काका ने बताया कि इस लाठी से आपको  यात्रा के दौरान काफी राहत भी मिलेगी।

लेकर आए थे लाठी 

इतिहासकारों के मुताबिक, गांधी जी को सिर्फ लाठी के साथ चलने के लिए सलाह ही नहीं दिया था ऐसा माना जाता है कि उनके लिए एक लाठी भी लेकर आए थे। जो लेकर गांधी जी ने दांडी यात्रा पूरी की। यात्रा के दौरान नदी, गांव और जंगल कई खराब सड़कों को उन्होंने लाठी के सहारे पार किया। बताया जाता है कि उनकी लाठी एक खास तरह की लकड़ी से बनी हुई थी। वो लकड़ी कर्नाटक के समुद्री तट पर मलाड इलाके में ही मिलता है।

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