महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री पर बैन को लेकर एमए खान ने संतों की मांग का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि मुस्लिमों को महाकुंभ मेले से दूर रहना चाहिए और संतों की मांग का स्वागत करना चाहिए। अपनी बात के समर्थन में उन्होंने मक्का मदीना का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जब मक्का मदीना में सऊदी अरब की सरकार यह सुनिश्चित करती है कि वहां हज के समय मुस्लिमों के अलावा किसी अन्य धर्म के लोग न जा सकें तो कुंभ में हिंदुओं के अलावा दूसरे धर्म के लोग क्यों जाएंगे।
संतों ने मांग की है कि कुंभ मेले में मुस्लिमों की एंट्री पर बैन लगाया जाना चाहिए। ऐसे में मुस्लिम दुकानदारों को भी कुंभ मेले में दुकान लगाने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसी वजह से बवाल ज्यादा हो रहा है। कुंभ मेला 45 दिनों तक चलता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें करोड़ों लोग शामिल होते हैं। इस दौरान दुकान नहीं लगाने पर दुकानदारों को काफी नुकसान होगा। अखाड़े ने मुस्लिम दुकानदारों को कुंभ में दुकान लगाने की अनुमति देने से मना कर दिया है। कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
एमए खान ने क्या कहा ?
एमए खान ने कहा "सारा हिंदुस्तान एक है, लेकिन प्रत्येक हिन्दुस्तानी जितना अपने देश का सम्मान करता है उतना ही अपने धर्म का सम्मान करता है। जब मुस्लिम समाज का हज का कार्यक्रम चलता है तो सऊदी अरब के मक्का मदीना में सिर्फ मुस्लिम समाज ही वहां प्रवेश कर सकता है. क्योंकि हज एक धार्मिक कार्यक्रम है और सऊदी अरब की सरकार ये इजाजत नहीं देती है कि मक्का मदीना में कोई गैर मुस्लिम प्रवेश करे। उस वक्त किसी भी देश का किसी भी धर्म का कोई व्यक्ति इसका विरोध नहीं करता है तो फिर जब हमारे मुल्क हिंदुस्तान में हिंदू भाइयों के आस्था का पर्व महाकुंभ आता है और हिन्दू समाज के साधु संत कहते हैं कि हमारे कुंभ में कोई मुस्लिम प्रवेश न करे तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। वैसे भी मुस्लिमों को कुंभ मेला से कोई सरोकार नहीं होना चाहिए क्योंकि महाकुंभ एक हिन्दू समाज का पर्व है। मुस्लिमों को तो संतों की इस मांग का स्वागत करना चाहिए।