Highlights
- भारत के लोगों को धन्यवाद कहा था
- वो कोलकत्ता चली गई
- हमारे अतीत में कुछ रहस्यमई घटनाएं हुई
Queen Elizabeth II: ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ II का गुरुवार को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जिसके बाद से पूरे ब्रिटेन में शोक की लहर दौड़ गई है। महारानी सबसे लंबे समय तक देश पर शासन किया। महारानी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तक सभी वैश्विक नेताओं ने एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि दी है।
अपने 70 साल के शासनकाल के दौरान, एलिजाबेथ ने 1961, 1983 और 1997 में तीन बार भारत आई। देश के आजाद होने के 14 साल बाद उनकी पहली भारत यात्रा थी जो उनके लिए बहुत यादगार साबित हुई थी। महात्मा गांधी की हत्या के 13 साल बाद महारानी एलिजाबेथ उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गई थी। उस समय उनके साथ प्रिंस फिलिप भी आए थे। समाधि परिसर में प्रवेश करने से पहले उन्होंने अपने जूते और चप्पल बाहर ही खोल दिए थे।
स्वागत के लिए गए थे नेहरु
1961 में पहली बार भारत के दौरे पर आई थी। उनके स्वागत के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन दिल्ली हवाई अड्डे पर मौजूद थे। वह 50 वर्षों में भारत आने वाली पहली ब्रिटिश शासक थी। भारत जब अंग्रेजों के कब्जे में था तब उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी 1911 में भारत की यात्रा पर आए थे। उस समय भारत को लेकर अंग्रेजों की सोच अलग थी। एलिजाबेथ अपने पिता किंग जॉर्ज VI की मृत्यु के बाद 6 फरवरी 1952 में सत्ता का बागडोर संभाला। वह उस भारत के पड़ोसी देश नेपाल और पाकिस्तान में भी दौरा पर गई थी।
यहीं कहा था धन्यवाद
इतिहासकारों के मुताबिक, ऐसा बताया गया कि वो भारत के जिस क्षेत्र में गई, उनकों देखने के लिए लोगों की हुजुम जुट जाती थी। महारानी एलिजाबेथ ने दिल्ली के राजपथ (जिसे अब ड्यूटी स्ट्रीट कहा जाता है) पर गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथी के रुप में हिस्सा बनी। जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एलिजाबेथ के स्वागत के लिए एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया था, मैदान में भीड़ देखकर एलिजाबेथ ने नेहरू और भारत के लोगों को धन्यवाद कहा था। वो ये देखकर काफी चकित रह गई थी उन्हें देखने के लिए इतने लोग आ सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान, दिल्ली निगम ने उन्हें कुतुब मीनार का दो फीट लंबा मॉडल उपहार में दिया जो हाथी दांत से बना था। 2
ताजमहल का दिदार करने पहुंचे
गणतंत्र दिवस परेड से पहले महारानी और ड्यूक जयपुर गए थे। इतिहासकारों के मुताबिक, जयपुर में उनका शाही स्वागत किया गया। जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने एलिजाबेथ की प्रशंसा की और उनके साथ महल के प्रांगण में हाथी की सवारी की। गणतंत्र दिवस के समारोह खत्म होने के बाद एलिजाबेथ आगरा भी गई जहां वह ताजमहल देखने लिए खुली कार का प्रयोग किया गया। इस दौरे को खत्म करने के बाद वो फिर पाकिस्तान चली गई।
जब पाकिस्तान से भारत लौटी तो दुर्गापुर स्टील प्लांट पहुंची, जिसे कुछ साल पहले ब्रिटेन की मदद से बनाया गया था। इसके बाद वो कोलकत्ता चली गई जहां पर वो अपने समर्थकों को संबोधित किया। एलिजाबेथ द्वितीय और उनके दिवंगत पति प्रिंस फिलिप ने मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का दौरा किया था।
जलियांवाला बाग का किया दौरा
राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (CHOGM) में हिस्सा लेने के लिए महारानी 1983 में भारत में अपने कदम को रखा। इस दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को ऑर्डर ऑफ द मेरिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया। अंतिम बार वह भारत की आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर आई थीं। इस दौरान महारानी और उनके पति ने बाद में अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा किया, जहां 1919 में नरसंहार हुआ था। उन्होंने कहा था कि यह किसी छिपी नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ रहस्यमई घटनाएं हुई जिन्हें हम सभी जानते हैं।जलियांवाला बाग दिल को दहला देने वाला एक उदाहरण था।