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CJI के पद से रिटायर होने के बाद डीवाई चंद्रचूड़ क्या काम नहीं कर सकते? जानकर रह जाएंगे हैरान

डीवाई चंद्रचूड़ रिटायरमेंट के बाद तमाम काम कर सकते हैं लेकिन एक काम करने के लिए उन पर प्रतिबंध है। दरअसल ये प्रतिबंध सभी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए होता है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: November 11, 2024 12:50 IST
DY Chandrachud- India TV Hindi
Image Source : PTI डीवाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली: डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को देश के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर हो गए हैं। उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना ने ली है। जस्टिस संजीव खन्ना ने आज देश के 51वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली है। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है।

रिटायरमेंट के बाद क्या काम नहीं कर सकते डीवाई चंद्रचूड़?

संविधान के आर्टिकल 124(7) की वजह से डीवाई चंद्रचूड़ देश में कहीं भी वकालत नहीं कर सकते। यानी सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद सीजेआई या न्यायाधीशों द्वारा वकालत का पेशा नहीं अपनाया जा सकता है। हालांकि वह अन्य भूमिकाएं निभा सकते हैं।

कानून के जानकार बताते हैं कि ऐसा प्रावधान इसलिए किया गया है, जिससे न्यायपालिका की पवित्रता और निष्पक्षता बनी रहे। इससे पक्षपात होने की आशंका नहीं रहती है। दरअसल इसमें एक बात ये भी निकल कर आती है कि अगर देश के पूर्व सीजेआई वकालत करेंगे, तो उनके पिछले पद की गरिमा कमजोर होगी।

रिटायरमेंट के बाद क्या कर सकते हैं?

  • सार्वजनिक सेवा में प्रवेश कर सकते हैं।
  • राज्यपाल या सरकारी समितियों के सदस्य बन सकते हैं।
  • विवादों में मध्यस्थ बन सकते हैं। 
  • भारत के मध्यस्थता परिषद का सदस्य बन सकते हैं। 
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे आयोगों और न्यायाधिकरणों के प्रमुख बन सकते हैं।
  • लॉ स्कूलों में पढ़ा सकते हैं। व्याख्यान, कानूनी मुद्दों पर लेखन कर सकते हैं।

संजीव खन्ना बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश

आज जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। उन्होंने आज राष्ट्रपति ने शपथ भी दिलाई। जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की जगह ली है। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत जस्टिस संजीव खन्ना कई बड़े केस पर सुनवाई कर चुके हैं। जस्टिस खन्ना ईवीएम की विश्वसनीयता को बनाए रखने, चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने, अनुच्छेद 370 को हटाने और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं।

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