Highlights
- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अब एक आधिकारिक बयान में कन्नौज सहित 40 ठिकानों से हुई बरामदगी के बारे में बताया है।
- तलाशी अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में 40 ठिकानों पर एक साथ रेड की गई थी।
- तलाशी के दौरान मिले सबूतों से पता चलता है कि शेल कंपनियां भारतीय प्रमोटरों द्वारा चलाई और प्रबंधित की जाती हैं: आयकर विभाग
नई दिल्ली: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन के अलावा एक और इत्र कारोबारी के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अब एक आधिकारिक बयान में कन्नौज सहित 40 ठिकानों से हुई बरामदगी के बारे में बताया है। आयकर विभाग ने इत्र निर्माण और रियल एस्टेट के कारोबार में लगे 2 समूहों, जिनमें कन्नौज से समाजवादी पार्टी एमएलसी पम्पी जैन और मोहम्मद याकूब मोहम्मद अयूब की फर्म शामिल हैं, उन पर पिछले 31 दिसंबर को तलाशी व जब्ती अभियान चलाया था।
विभाग ने तलाशी अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में 40 ठिकानों पर एक साथ रेड की थी। शुरुआत में मुंबई और यूपी में स्थित सपा एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन के समूह के मामले में, तलाशी से पता चला कि समूह इत्र की बिक्री, स्टॉक और खातों में हेराफेरी करके, लाभ को खर्चो में बदलकर टैक्स की चोरी में शामिल है। फर्म के बिक्री कार्यालय और मुख्य कार्यालय में पाए गए साक्ष्य से पता चला है कि समूह अपनी खुदरा बिक्री का 35% से 40% हिस्सा 'कच्चे' बिलों यानी कैश में करता है और इन नकद प्राप्तियों को नियमित पुस्तकों में दर्ज नहीं किया जाता है। खाते में करोड़ों रुपये चल हैं और फर्जी पार्टियों से लगभग 5 करोड़ रुपयों का भी पता चला है।
विभाग ने अपने बयान में कहा है कि आपत्तिजनक साक्ष्य के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि इस तरह से उत्पन्न बेहिसाब आय को मुंबई में विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया जाता है, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दोनों में संपत्तियों को इसी कर चोरी की आय से खरीदा गया है। यह भी पता चला है कि समूह ने करोड़ो रुपये के कर की चोरी की है। स्टॉक-इन-ट्रेड को पूंजी में बदलने पर 10 करोड़ रुपये की आय की घोषणा नहीं की गई है। समूह ने करोड़ो रुपये की आय की घोषणा भी नहीं की है। ऐसे साक्ष्य भी मिले हैं और जब्त किए गए हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि समूह के प्रमोटरों ने कुछ शेल कंपनियों को भी शामिल किया है।
आयकर विभाग ने अपने बयान में बताया कि तलाशी के दौरान मिले सबूतों से पता चलता है कि शेल कंपनियां भारतीय प्रमोटरों द्वारा चलाई और प्रबंधित की जाती हैं। ऐसी दो शेल कंपनियों के जरिये संयुक्त अरब अमीरात में एक-एक विला के मालिक होने का पता चला है। यानी ये कंपनियां उन पतो पर रजिस्टर की गई थीं। यह भी पता चला है कि संयुक्त अरब अमीरात से समूह की शैल कंपनियों में से एक ने कथित तौर पर समूह की एक भारतीय इकाई में 16 करोड रुपये से ज्यादा की अत्यधिक प्रीमियम पर अवैध शेयर पूंजी पेश की है।
बयान में कहा गया है कि इस समूह इकाई ने 19 करोड़ रुपये शेयर के रूप में कोलकाता स्थित कुछ शेल संस्थाओं से अवैध पूंजी के रूप में प्राप्त किये हैं। इन शेल संस्थाओं के शेयरधारक निदेशकों में से एक ने शपथ पर स्वीकार किया कि वह एक डमी निदेशक था और उसने समूह के प्रमोटरों के कहने पर समूह की कंपनी की शेयर पूंजी में निवेश किया था। यूपी स्थित एक अन्य समूह जोकि मोहम्मद याकूब मोहम्मद अयूब के ताल्लुख रखता गई उस पर तलाशी कार्रवाई के दौरान, लगभग रु.10 करोड़ रुपये की कैश ट्रांजेक्शन के बारे में पता चला है, यह भी पता चला है कि ये इत्र कारोबारी अपनी फर्म के लिए कोई स्टॉक रजिस्टर नहीं रखता है।
साथ ही, इसके कन्नौज स्तिथ आवास से 9.40 करोड़ रुपये से अधिक के अस्पष्टीकृत आभूषण और 2 करोड़ रुपये कैश जब्त किए गए हैं। कई बैंक लॉकरों को सीज कर दिया गया है और उनका खोला जाना अभी बाकी है।