Highlights
- प्राइवेट बिल को मंत्री के पास पेश करने का अधिकार नहीं होता हैं
- प्राइवेट बिल पेश करने से पहले स्पीकर की अनुमित जरूरी होती है
- बिल दो तरह के होते हैं एक प्राइवेट बिल और दूसरा पब्लिक बिल
Private Bill: गोरखपुर से बीजेपी सांसद और दिग्गज अभिनेता रवि किशन कुछ दिन पहले सदन में एक प्राइवेट बिल पेश किया था। ये बिल जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर लाया गया था। हाल ही यूएन के तरफ से कहा गया था कि भारत 2023 तक आबादी के रेस में चीन को पीछे छोड़ देगा। देश में पहले से भी बीजेपी समर्थक चाहते हैं कि देश जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए एक सख्त कानून बनें। इसी कड़ी में बीजेपी सांसद रवि किशन ने संसद में प्राइवेट बिल पेश किया था। आपके मन में ये सवाल हो रहा है कि ये प्राइवेट बिल क्या होता है। इस क्या प्रोसेस है, सदन में इसे कौन पेश कर सकता है। आज इसके बारें में विस्तार से समझेंगे।
ये प्राइवेट बिल क्या होता है?
प्राइवेट बिल को संसद में सिर्फ सांसद ही पेश कर सकते हैं। ये सांसद कोई मंत्री नहीं होते हैं क्योंकि प्राइवेट बिल को मंत्री के पास पेश करने का अधिकार नहीं होता हैं। यानी क्लियर है कि इस बिल को कोई भी कैबिनेट के मंत्री संसद में पेश ही सकते हैं। इस बिल को सिर्फ शुक्रवार को संसद में पेश किया जाता है। अगर शुक्रवार को किसी प्राइवेट बिल पर चर्चा नहीं होता है तो सरकारी विधयेक पर चर्चा कर ली जाती है। प्राइवेट बिल पेश करने से पहले स्पीकर की अनुमित जरूरी होती है। आप प्राइवेट बिल को समझ ही गए तो अब आपको हम पब्लिक बिल भी समझा देते हैं। आपको बता दें कि बिल दो तरह के होते हैं एक प्राइवेट बिल और दूसरा पब्लिक बिल, यानी यही दो बिल ही संसद में पेश किए जाते हैं। इस बिल को कैबिनेट के मंत्री ही सांसद में पेश कर सकते हैं। इस बिल को किसी दिन भी पेश किया जा सकता है। जो पब्लिक या सरकारी बिल होते हैं इसमें सरकार का समर्थन होता है क्योंकि ये बिल सरकार के किसी मंत्री द्वारा लाया जाता है इसमें सरकार की सहमति होती है।
प्राइवेट बिल का प्रोसेस क्या होता है
प्राइवेट बिल को तैयार करने का जिम्मेदारी उस सांसद का होता है जो उसे संसद में पेश करना चाहता है। इसे पहले उस कम से कम एक महीने पहले सदन सचिवालय को नोटिस देना पड़ता है। इसके बाद सदन सचिवालय प्राइवेट मेंबर्स के बिल पर सारे नियमों का अनुपालन स्पष्ट करता है। जब सदन मे एक साथ कई प्राइवेट बिल पेश होता है तो तब सदन में इन्हें बैलट सिस्टम के मुताबिक पेश किया जाता है। इस बिल का मकसद सरकार का ध्यान खींचन होता है जिसे एक सांसद के तौर वो सरकार के सामने रखता है कि ये समस्या है या आने वाले समय में समस्या हो सकती है। ताकि सरकार समेत सदन में बैठे हुए प्रधानमंत्री का भी नजर जाएं।
इस प्राइवेट बिल इतिहास क्या है
देश में ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई प्राइवेट बिल दोनों सदनों पारित किया गया था। 1970 में प्राइवेट लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से बिल पारित हो गया था। भारत के आजादी के बाद अबतक 14 प्राइवेट मेंबर्स बिल पास होकर कानून बने हैं। इसमें ऐसे 6 बिल थे जो कि 1956 में पारित किए गए थे।