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History of Cheetah: आखिरी Cheetah को किसने मारा था, चीतों का क्या है इतिहास, जानिए इनसे जुड़ी सारी जानकारी

History of Cheetah: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर आज कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े दिए। इन चीतों को अफ्रीका के नामबिया शहर से लाया गया था। सरकार की कड़ी मशक्कत के बाद अब फिर से भारत में चीते की प्रजातियां देखने को मिलेंगी।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Sep 17, 2022 17:55 IST, Updated : Sep 17, 2022 17:55 IST
History of Cheetah
Image Source : TWITTER History of Cheetah

Highlights

  • अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान लगभग 1000 चीते को संरक्षित कर रखा था
  • भारत में हमेशा से चीता रहे हैं
  • रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1947 में 3 चीतों का शिकार किया था

History of Cheetah: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर आज कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े दिए। इन चीतों को अफ्रीका के नामबिया शहर से लाया गया था। सरकार की कड़ी मशक्कत के बाद अब फिर से भारत में चीते की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। आपको बता दें कि भारत से चीते विलुप्त हो गए थे। साल 1952 में तत्कालीन सरकार ने औपचारिक रूप से बताया था कि भारत से अब चीते खत्म हो गए। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर भारत से चीते खत्म क्यों हो गए, आखिर चीते को किसने मारा। जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। आइए जानते हैं हर सवाल का जवाब। 

आखिरी चीता पाया गया था मृत 

इतिहासकारों के मुताबिक, साल 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जंगल में मृत हालत में आखिरी चीता पाया गया था। जिसके बाद भारत की धरती से चीता खत्म हो गए। ऐसा माना जाता है कि मुगल शासक अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान लगभग 1000 चीते को संरक्षित कर रखा था और उस समय देश में चीतों की संख्या काफी अधिक थी। मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के जर्नल के मुताबिक, भारत में हमेशा से चीता रहे हैं लेकिन लगातार शिकार होने के वजह से यह धीरे-धीरे खत्म हो गए। इतिहासकारों की माने तो उनका कहना है कि पुराने जमाने में राजा महाराजा चीतों का शिकार करने में काफी माहिर होते थे। हमेशा अपनी छुट्टियों पर शिकार करने के लिए निकल जाते थे, उस समय किसी जानवर का शिकार करना गैरकानूनी नहीं था। जिसके कारण यह हालात देखने को मिला। 

आखिरी चिता को किसने मारा
इतिहासकार बताते हैं कि भारत में तीन आखिरी एशियाई चीता बचे थे लेकिन कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1947 में 3 चीतों का शिकार किया था। ऐसा माना जाता है कि आखिरी तीन चीतों का शिकार महाराजा ने ही किया था। इसके बाद भारत से चीता जैसे जानवर पूरी तरह से खत्म हो गए। तत्कालीन सरकार ने भी 1952 में स्वीकार कर लिया कि भारत से चीता विलुप्त हो गए। 

क्या चीतों का इतिहास 
वैज्ञानिकों के अनुसार चीते सबसे पहले हिमयुग में साउथ अफ्रीका में मायोसिन युग में आज से करीब 2.6 करोड़ वर्ष पहले देखे गए। इसके बाद धीरे-धीरे अफ्रीकी महाद्वीप से एशियाई महाद्वीप में इनका प्रवास शुरू हुआ। करीब 1.1 करोड़ वर्ष पहले एशिया में प्लायोसिन युग में इनकी मौजूदगी पाई गई। वैज्ञानिकों के अनुसार बिल्ली, चीता, बाग, तेंदुआ और शेर एक ही प्रजाति के प्राणी हैं। यानि चीता बिल्लियों के ही परिवार का सदस्य है। जिनमें समय-समय पर परिवर्तन होता रहा। जलवायु परिवर्तन के साथ ये सभी प्राणी अपने ठिकाने, जीने के तौर-तरीके बदलते रहे। साथ ही इनमें शारीरिक और आनुवांशिक परिवर्तन भी होते रहे। दुनियां में चीते की कई प्रजातियां है। वहीं बड़ी बिल्ली परिवार से संबंध रखने वाले कुछ चीतों को पांच करोड़ साल पहले व्यूत्पन्न माना जाता है। यानि जो किसी दूसरी जातियों से पैदा हुए।

चीतों की खासियत 

  • यह 125 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाले धरती के सबसे तेज धावक हैं।
  • बड़ी बिल्ली की प्रजाति में आने वाले यह एक ऐसी प्रजाति है, जो बदले वातावरण को जल्दी स्वीकार नहीं करते।
  • यह हिरण, खरगोश, जेब्रा इत्यादि का शिकार करते हैं।
  • मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में 7000 चीते हैं।
  • 4500 चीते अकेले साउथ अफ्रीका में हैं।

 

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