पंजाब और हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर पर किसानों का दिल्ली मार्च रोक दिया गया है। 101 किसानों के एक जत्थे ने शुक्रवार को दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया था, लेकिन उन्हें कुछ मीटर बाद ही रोक दिया गया। वहीं हरियाणा पुलिस ने किसानों से आगे न बढ़ने को कहा है। अंबाला जिला प्रशासन ने जिले में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के गैरकानूनी रूप से एकत्र होने पर भी रोक लगा दी है। हरियाणा की सीमा पर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। किसानों का ये पैदल मार्च क्यों किया जा रहा है, आइये जानते हैं कि पैदल मार्च कर रहे किसानों की मांगें क्या हैं?
आंदोलन कर रहे किसानों की प्रमुख मांगें-
- MSP गारंटी को कानून बनाया जाए
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर कीमत तय हो
- किसानों का कर्ज माफ हो
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू हो
- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 रद्द किया जाए
- लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा मिले
- आंदोलन में मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा मिले
राज्यसभा में बोले कृषि मंत्री शिवराज चौहान
वहीं पूरे मामले पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सभी कृषि उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। प्रश्नकाल के दौरान किसानों को एमएसपी के मुद्दे पर उन्होंने सदन को बताया, ‘‘मैं सभापति के माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसानों की सभी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी। यह मोदी सरकार है और मोदी की गारंटी को पूरा करने की गारंटी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब दूसरी तरफ के हमारे मित्र सत्ता में थे तो उन्होंने रिकॉर्ड पर कहा था कि वे एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते, खासकर उपज की लागत से 50 प्रतिशत अधिक देने की बात। मेरे पास रिकॉर्ड है।’’
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया, ‘'पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने कभी किसानों का सम्मान नहीं किया और कभी किसानों की लाभकारी कीमतों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया। मैं आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि 2019 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करने का फैसला किया है।’’ शिवराज सिंह चौहान ने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार पहले से ही किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है। उन्होंने कहा कि धान, गेहूं, ज्वार, सोयाबीन को तीन साल पहले से ही उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक कीमत पर खरीदा जा रहा है। उन्होंने वस्तुओं की दरों में गिरावट होने पर निर्यात शुल्क और कीमतों को बदलने में हस्तक्षेप का भी हवाला दिया।
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