Highlights
- हवा के साथ में घुल-मिल जाते हैं
- एयर क्वालिटी इंडेक्स पहले के अपेक्षा में खराब हो जाती है
- पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है
Green Crackers: दीपावली आते ही सोशल मीडिया पर पटाखों की बैन को लेकर एक मुहिम शुरू हो जाती है तो दूसरी तरफ खुब पटाखे छोड़ने की। इसमें कोई शक नहीं है कि दीपावली के समय अत्यधिक पटाखे छोड़ने से वातावरण पर प्रभावित नहीं होता है। हर साल इस तरह की स्थिति देखने को मिलती है। अब बजारों में ऐसे-ऐसे पटाखे आ गए हैं। जिनकी आवाज इतनी खतरनाक होती है कि दिल का रोगी अगर सामने हो तो मौत की नींद में चला जाए। इसके साथ ही साथ बचे हुए पक्षियों पर भी असर दिखता है। इन्हीं सब को देखते हुए राज्य सरकारे कड़े कदम उठाते हैं। वहीं कई राज्यों ने अपने यहां पर पटाखा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आज इन्हीं पटाखों से जुड़ी आपको जानकारी देंगे कि आखिर सामान्य पटाखे और ग्रीन पटाखे में कितना अंतर होता है।
सामान्य पटाखे काफी होते हैं खतरनाक
पटाखे जलाने से काफी प्रदूषण होते हैं, इसमें कोई शक नहीं है। दीपावली के समय तो इतना पटाखा लोगों के द्वारा जलाया जाता है कि लगातार कई दिनों तक आसमान काला पड़ा रहता है। अगर पटाखों की बनने वाले सामग्री के बारे में बात करें तो सल्फर मिलाया जाता है। इसके साथ ही साथ रिड्यूसिंग एजेंट, ऑक्सीडाइजर, स्टेबलाइजर्स और रंग मिलाए जाते हैं। आपने देखा होगा कि पटाखों को जलाने पर रंग-बिरंगी रौशनी होती है। इनमें एंटीमोनी सल्फाइड, बेरियम नाइट्रेट, लिथियम, एल्यूमीनियम, तांबा और स्ट्रांशियम के मिश्रण से बनाए जाते हैं। जब पटाखा जलाया जाता है तो इनमें से कई प्रकार के रसायन गैस निकलते हैं जो कि हवा के साथ में घुल-मिल जाते हैं। जिसके कारण साफ हवा जहरीली बन जाती है। दीपावली के समय ठंड के मौसम नजदीक आ जाते हैं। इन दिनों कोहरा भी पड़ने लगता है। इन्हीं कारणों से एयर क्वालिटी इंडेक्स पहले के अपेक्षा में खराब हो जाती है। दिल्ली का हाल बुरा हो जाता है।
ग्रीन पटाखे कितना फैलाते हैं प्रदुषण
ग्रीन पटाखों को काफी इकोफ्रेंडली माना जाता है। इन पटाखों को बनाने की विधी की बात करें तो इसमें सामान्य पटाखों में मिलाने वाले जो मिश्रण होते हैं वो नहीं होते हैं, जैसे की एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इनमें जो रसायनिक मिलाए जाते हैं वो काफी कम हानिकारक होते हैं। इनके साइज काफी छोटे-छोटे होते हैं और साथ ही साथ इनकी आवाज भी कम होती है। आपके पॉकेट के लिए तोड़े पटाखे महंगे होते हैं लेकिन वातावरण के लिए काफी सही होते हैं। यानी आसान भाषा में समझे कि ग्रीन पटाखे महंगे होते हैं जबकि इसकी तुलना में सामान्य पटाखे काफी सस्ते बाजारों में मिलते हैं।
बिहार के कई जिलों में पटाखों पर बैन
हाल ही में बिहार में कई जिलों में पटाखा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बिहार के पटना, मुजफ्फपुर और हाजीपुर में किसी तरह के पटाखों को जलाने पर बैन है। इसके अलावा राज्य के सभी जिलों में पटाखे जलाए जा सकते हैं। बिहार राज्य प्रदुषण बोर्ड के विशलेषक अरुण कुमार का कहना है कि पटाखों से ध्वनि प्रदुषण और वायू प्रदुषण होता है। इन शहरों में प्रदुषण का स्तर काफी बढ़ चुका है इसलिए ये निर्णय लिया गया है। स्थानीय प्रशासन जगह-जगह पर छापेमारी कर रही है।