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Konark Sun Temple: कोणार्क के सूर्य मंदिर का क्या है इंटरोपोल से कनेक्शन, जानें रथ के पहियों का राज

Konark Sun Temple: तेरहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध कोणार्क के सूर्य मंदिर से इंटरपोल का क्या कनेक्शन है, इस बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। आखिर कोणार्क मंदिर में ऐसा क्या है, जिससे कि इंटरपोल के तार जुड़े हैं। यदि आप नहीं जानते तो आइए इस बारे में आपको पूरी जानकारी देते हैं।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Published : Sep 18, 2022 18:54 IST, Updated : Sep 18, 2022 19:13 IST
Sun Temple
Image Source : INDIA TV Sun Temple

Highlights

  • इंटरपोल से जुड़े 195 देश भारत में करेंगे महासभा
  • 25 वर्ष बाद पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रयास से होगी सभा
  • मंदिर के पहियों से इंटरपोल का बनाया गया लोगो

Konark Sun Temple: तेरहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध कोणार्क के सूर्य मंदिर से इंटरपोल का क्या कनेक्शन है, इस बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। आखिर कोणार्क मंदिर में ऐसा क्या है, जिससे कि इंटरपोल के तार जुड़े हैं। यदि आप नहीं जानते तो आइए इस बारे में आपको पूरी जानकारी देते हैं।

दर असल सूर्य मंदिर के रथ पहियों से प्रेरित आकृति इंटरपोल की 90वीं महासभा का लोगो होने जा रही है। यह जानकारी इंटरपोल के अधिकारियों ने दी है। अगले महीने होने वाली इस महासभा में 195 देशों के कानून लागू करने वाले अधिकारियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। अधिकारियों ने कहा कि महासभा का आयोजन करने वाले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने हाल ही में इसके लोगो का अनावरण किया, जिसमें तीन पत्तियों वाली एक गोलाकार आकृति है, जिनके बीच में 'पहिया' है। इंटरपोल के साथ संपर्क करने के लिए सीबीआइ भारत की राष्ट्रीय एजेंसी है।

सीबीआइ को क्यों आया सूर्य मंदिर के पहिये से लोगो का विचार

सीबीआइ को इस लोगो को डिजाइन करने का विचार ओडिशा के नक्काशीदार सूर्य मंदिर के पहियों से आया, जिनमें 16 तीलियां हैं। इस मंदिर का निर्माण सूर्य भगवान के रथ के रूप में पत्थर से किया गया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जब इंटरपोल की प्रतिबद्धता और जुड़ाव का संदर्भ आता है, तो इस लोगो में ‘कोणार्क का पहिया’ वैश्विक निकाय के चौबीस घंटे कामकाज को प्रेरित करने का काम करता है और यह तीन पत्तियों वाले गोलाकार आकृति से घिरा हुआ है, जो भारतीय ध्वज के रंगों वाला है।’’ उन्होंने कहा कि तीन घेरे वाली गोलाकार आकृति इंटरपोल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बंधनों के निर्माण, विश्व स्तर पर सुरक्षा के संरक्षण के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता और कानून प्रवर्तन लक्ष्यों की उपलब्धि दर्शाती है।

पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री के प्रयास से हो रही अर्से बाद ये सभा
अधिकारियों ने कहा कि भारत ने 1997 में इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। तब से यह आयोजन अब तक दोबारा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों के कारण देश को फिर से महासभा का आयोजन करने का मौका मिला है, जो चाहते थे कि यह भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ वर्ष के दौरान देश में आयोजित किया जाए। महासभा एक वार्षिक कार्यक्रम होता है, जिसका आयोजन प्रत्येक सदस्य देश द्वारा बारी-बारी से किया जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने इस साल भारत में वैश्विक सुरक्षा कैलेंडर में इस महासभा का आयोजन करने का विचार तत्कालीन इंटरपोल महासचिव जुर्गन स्टॉक के साथ बैठक के दौरान रखा था, जिन्होंने 30 अगस्त, 2019 को उनसे मुलाकात की थी।

भगोड़े अपराधियों, आतंकियों पर नजर रखना मकसद
उन्होंने कहा कि 18 अक्टूबर से शुरू होने वाले तीन दिवसीय कार्यक्रम में भ्रष्टाचार और साइबर अपराध, इंटरनेट पर प्रसारित बाल यौन शोषण सामग्री, लापता व्यक्तियों और आतंकवाद के अलावा दुनिया भर में भगोड़े अपराधियों पर नज़र रखने के लिए विभिन्न देशों की पुलिस के बीच सहयोग में सुधार के लिए नयी तकनीकों और तंत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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