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Child Adoption Process: नवजात को छोड़कर फरार हुई कलयुगी मां, गोद लेने के लिए जुटी हजारों की भीड़, आखिर बच्चा अडॉप्ट करने की क्या है पूरी प्रक्रिया

Child Adoption Process: बिहार के रोहतास जिले से समाज को शर्मसार करने वाली खबर मंगलवार को सामने आई। जहां एक महिला नवजात शिशु को हॉस्पिटल में छोड़कर भाग गई। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन के बीच हड़कंप मच गई।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: September 14, 2022 16:41 IST
Child Adoption Process- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Child Adoption Process

Highlights

  • कानून के रूप में 1 सितंबर से लागू हो गया है
  • बच्चा मिलने में तकरीबन 2 से 5 साल तक का समय लग जाता है
  • माता-पिता को पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।

Child Adoption Process: बिहार के रोहतास जिले से समाज को शर्मसार करने वाली खबर मंगलवार को सामने आई। जहां एक महिला नवजात शिशु को हॉस्पिटल में छोड़कर भाग गई। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन के बीच हड़कंप मच गई। अधिकारियों ने जब महिला से जुड़ी दस्तावेजों की जांच की तो सारे दस्तावेज फर्जी पाए गए। अस्पताल प्रशासन ने चाइल्डलाइन को कॉल किया ताकि वह अपने कस्टडी में बच्चे को रख सकें।

हालांकि इसी दौरान अस्पताल परिसर के बाहर सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई,उनमें से कई ऐसे लोग थे जो बच्चे को गोद लेना चाहते थे। इस तरह के मामले में आप नॉर्मल तरीके से बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर बच्चे को गोद लेने का नियम क्या है, तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से समझते हैं आखिर पूरी प्रक्रिया क्या है। 

जिलाधिकारी के पास रहेंगे ये अधिकार 

हमारे देश में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को काफी जटिल मानी जाती है। इस प्रोसेस में और बच्चा मिलने में तकरीबन 2 से 5 साल तक का समय लग जाता है। ऐसे में उच्च न्यायालय ने इस प्रोसेस को काफी आसान बनाने की मांग पर एक आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एक सितंबर 2022 से बच्चों की देखभाल और गोद लेने से संबंधित मुद्दों पर जिला स्ट्रीट और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की बढ़ा दी गई है। आसान भाषा में समझे कि अब स्थानीय कोर्ट के बजाय जिला मजिस्ट्रेट बच्चा गोद लेने के लिए आदेश जारी कर सकते हैं। 

अब ये बन गई नई कानून 
सरकार बच्चों की पालन पोषण और न्याय संबंधी संशोधन विधेयक, 2021 (Juvenile justice act amendment) को पिछले साल बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया गया था जिसके बाद इसे मानसून सत्र में पारित कर दिया गया। इस बिल को संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने मुहर लगाया। अब यह कानून के रूप में 1 सितंबर से लागू हो गया है। इस कानून के बनने के बाद जिला मजिस्ट्रेट के पास गोद लेने की पूरी प्रक्रिया और संकट में फंसे बच्चों का सहयोग करने का अधिकार पूरी तरह से दे दिया गया है। चाइल्ड वेलफेयर समिति में किन सदस्यों की नियुक्ति होगी, इसके नियम कानून भी जिला मजिस्ट्रेट के हाथों में होगा। 

भारत में कितने हैं अनाथ बच्चे?
इसी याचिका में बताया गया था कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया काफी मुश्किल भरा है। इस पूरी प्रक्रिया को फॉलो करने में तकरीबन 2 से 3 साल लग जाते हैं। इस प्रक्रिया के आसान होने के बाद बच्चों को गोद लेने की संख्या में सुधार हो सकती है। एक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग 3 करोड़ 3 लाख अनाथ बच्चे हैं। लेकिन जटिल कानून के कारण पिछले 5 साल में सिर्फ 16,353 बच्चों को गोद लिया गया है। 

कौन ले सकता है गोद?
अगर कोई शादीशुदा जोड़ा बच्चे को गोद ले रहा है तो शादी का कम से कम दो साल पूरे हो जाने चाहिए। वही गोद लेने वाले बच्चे के माता-पिता को पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए। इस प्रक्रिया में माता और पिता की दोनों मंजूरी होना अनिवार्य है। अगर कोई पुरुष किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है तो उसे सिर्फ लड़का ही गोद दिया जा सकता है। 

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