Sunday, December 22, 2024
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क्या है स्पेस डॉकिंग? लॉन्च पैड पर पहुंचा ISRO का यान, जानें इस मिशन का उद्देश्य

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस महीने के अंत में लॉन्च होने वाले अपने अंतरिक्ष अभियान के जरिए इसरो एक और इतिहास रचने की तैयारी में है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Dec 22, 2024 8:28 IST, Updated : Dec 22, 2024 8:28 IST
पीएसएलवी-सी60
Image Source : ISRO पीएसएलवी-सी60

श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और नया इतिहास रचने की तैयारी में है। इस कड़ी में इसरो ने शनिवार को अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SPADEX) उपग्रहों की पहली झलक पेश की।  इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में पहले लॉन्च पैड पर रखा गया है। इसरो के मुताबिक स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट का उद्देश्य स्पेस में स्पेसक्रॉफ्ट (PSLV-C60) की डॉकिंग (एक यान से दूसरे यान के जुड़ने) और अंडॉकिंग (अंतरिक्ष में जुड़े दो यानों के अलग होने) के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी विकसित करना है।

डॉकिंग’ के टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन

इसरो (ISRO) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी दी। इसरो ने एक पोस्ट में कहा, “ प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया है और अब सैटेलाइट्स को इसपर स्थापित करने और लॉन्च की तैयारियों के लिए इसे पहले ‘लांचिंग पैड’ पर ले जाया गया है।” इसरो के मुताबिक,‘स्पैडेक्स’ (SPADEX) मिशन, पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके ‘अंतरिक्ष में डॉकिंग’ के टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करेगा। 

भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए जरूरी

इसरो (ISRO) ने कहा कि यह ट्क्नोलॉजी भारत के मून मिशन, चंद्रमा से सैंपल लाना, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र(बीएएस) का निर्माण और संचालन के लिए जरूरी है। अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ टेक्नोलॉजी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की जरूरत होती है। इस मिशन में सफलता मिलने पर भारत स्पेश ‘डॉकिंग’ टेक्नोलॉजी हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर होगा। 

इसरो (ISRO) के मुताबिक स्पैडेक्स (SPADEX)  मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।

पीएसएलवी-सी60 के जरिए लॉन्च

जानकारी के मुताबिक इसी महीने के अंत में पीएसएलवी-सी60 के जरिए इसे लॉन्च किया जाना है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ पहले कही यह कह चुके हैं कि पीएसएलवी-सी60 मिशन ‘स्पेस डॉकिंग’ प्रयोग का प्रदर्शन करेगा, जिसे ‘स्पैडेक्स’ नाम दिया गया है। इसे संभवतः दिसंबर में ही पूरा किया जा सकती हैं।’’ 

क्या है ‘स्पेस डॉकिंग’ और इसका उद्देश्य

‘स्पेस डॉकिंग’ एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए अंतरिक्ष में ही दो स्पेसक्राफ्ट को जोड़ा जाता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है। इसलिए स्‍पेस डॉकिंग अंतरिक्ष स्‍टेशन के संचालन के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। डॉकिंग में अंतरिक्ष यान अपने आप ही स्टेशन से जुड़ सकता है। अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की यह तकनीक ही भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में और चंद्रयान-4 परियोजना में मदद करेगी। 

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