Sunday, December 22, 2024
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Hijab Controversy: क्या है इस्लाम में पर्दा पर्था? हिजाब, बुर्का में कितना होता है अंतर, जानें इससे जुड़ी हर जानकारी

Hijab Controversy: हर धर्म में कई रीति रिवाज होते हैं, जो व्यक्ति जिस धर्म को मानता है उनके बनाए गए परंपराओं का पालन करता है। इसी तरह से इस्लाम धर्म में भी कई ऐसे परंपरा है। जिनका नाता हमेशा विवादों से रहता है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Sep 21, 2022 21:00 IST, Updated : Sep 21, 2022 23:54 IST
Hijab Controversy
Image Source : PTI Hijab Controversy

Highlights

  • ईरान में एक महिला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया
  • ईरान की आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है
  • पर्दा प्रथा को लेकर पांच प्रमुख परिधान हैं

Hijab Controversy: हर धर्म में कई रीति रिवाज होते हैं, जो व्यक्ति जिस धर्म को मानता है उनके बनाए गए परंपराओं का पालन करता है। इसी तरह से इस्लाम धर्म में भी कई ऐसे परंपरा है। जिनका नाता हमेशा विवादों से रहता है। हाल ही में ईरान में एक महिला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहना था। बाद में उस महिला की मौत पुलिस कस्टडी में हो गई।

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई है। परिवार वालों ने आरोप लगाया कि महिला की मौत नहीं हत्या की गई है। इसके बाद ईरान की आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने इस मामले में जांच करने के लिए निर्देश भी दिया है। इसके अलावा यूरोपीय देशों ने ईरान को जमकर लताड़ा है। वही भारत में भी बुर्का को लेकर कई महीनों से विवाद चल रहा है। आज हम जानने का प्रयास करेंगे कि इस्लाम में पर्दा प्रथा क्या है और हिजाब, बुर्का और नकाब क्या होता है। 

कितने प्रकार के होते हैं परिधान 

इस्लाम धर्म के मुताबिक, पर्दा प्रथा को लेकर पांच प्रमुख परिधान हैं। ‌ इनमें बुर्का पहले नंबर पर आता है। ‌जिसमें सिर से लेकर पैर तक पूरा बॉडी कपड़े से ढका होता है और आंखों के आगे भी एक मोटी सी जाली बनी होती है। दूसरे नंबर पर नकाब आता है। इसे बुर्के की फोटो कॉपी कह सकते हैं। इसमें पूरा शरीर ढका होता है लेकिन आंखें कवर नहीं होती है। तीसरे नंबर पर चादर यह भी बुर्के जैसा ही होता है लेकिन इसमें आंखों के साथ चेहरा भी नहीं ढका जा सकता है। और चौथा है हिजाब, यह शॉल की तरह होता है जिसे केवल सिर और गर्दन को ढका जाता है। इसके अलावा दुपट्टा होता है, जिसमें केवल सिर को किसी खास कपड़े से कवर किया जा सकता है। 

क्या कुरान में धार्मिक परिधान का है जिक्र? 
आपको बता दें कि कुरान में महिलाओं और पुरुषों के लिए किसी भी खास तरह के धार्मिक वस्त्र का जिक्र नहीं है। इसमें सिर्फ मॉडेस्टी का जिक्र है। मेडिसिटी यानी आसान भाषा में समझे की महिला और पुरुष दोनों इस तरह के वस्त्र को धारण करना, जो उनकी धर्म का सम्मान करें और उनकी गरिमा और इज्जत को बनाए रखें। दुर्भाग्य की बात है कि इस्लाम धर्म के तथाकथित ठेकेदार एवं मुस्लिम नेताओं ने समय-समय पर लोगों को इस पर गुमराह करने की प्रयास की है।

क्या है बुर्का और अन्य परिधानों का इतिहास 
इतिहासकारों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में अरब, ईरान और रोम में महिला अपने सिर और चेहरे को ढक कर रखा करती थी। उन जगहों की ये खास परंपरा थी। इस रिवाज को सिर्फ बड़े घरानों में माने जाते थे। यानी उस समय जो परिवार कुलीन या राजा महाराजा के घरों से संबंध रखता था, उनके घर की महिलाएं इस तरह के कपड़े को धारण करती थी। इसमें भी सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उस समय इस्लाम धर्म अस्तित्व में आया भी नहीं था। 7वीं शताब्दी में जब अरब में इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई तो यह पहनावा काफी लोकप्रिय हो गया।

आपको बता दें कि 20वीं शताब्दी तक भी अरब और ईरान में बुर्का और नकाब पहना जाता था जबकि मध्य एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में मुस्लिम महिलाएं वहां के स्थानीय पहनावे को पहले प्राथमिकता देती थी। बाद में इस्लाम धर्म में इस वस्त्र को सेंटर में लाया गया और मुस्लिम महिलाओं के ऊपर यह लागू कर दिया गया कि इस तरह के वस्त्र को धारण करना धार्मिक रीति रिवाज है।

बुर्का और हिजाब को लेकर तबलीगी जमात ने चलाया आंदोलन
तबलीगी जमात के बारे में आप अवश्य जानते होंगे। इस संस्था ने 1920 के दशक में एक आंदोलन चलाया, जिसमें उन सभी ने जोर दिया कि मुस्लिम महिलाओं को बुर्के और हिजाब में रहने की जरूरत है। और इसके अलावा मुस्लिम पुरुषों को लंबी दाढ़ी रखनी चाहिए। इसका असर भारत में काफी देखने को मिला। स्विजरलैंड के अलावा नीदरलैंड्स, फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क, एस्ट्रिया, बलगारिया, नॉर्वे,  स्वीडन, रूस और कजाख्तान जैसे देशों में किसी ना किसी रूप में बुर्का पर पूर्ण और आशिक प्रतिबंध लगाया गया है। इन सभी देशों में जब इसे लेकर कानून बनाया गया तो वहां पर भी काफी हिंसक प्रदर्शन हुए थे लेकिन इन देशों ने धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ जाकर एक मजबूत कानून बनाएं आज इन देशों में कानून का पालन किया जाता है।  

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