नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से दो साल पहले 7 सितंबर 2022 को शुरू की गई प्राइम मिनिस्टर स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने और उन्हें 21वीं सदी के कौशल सिखाने के साथ उन्हें 'भविष्य के लिए तैयार' बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना है।
पीएम श्री योजना का मुख्य लक्ष्य भारत के 14,500 पुराने स्कूलों को बेहतर बनाकर और शिक्षा नीति-2020 को सभी स्कूलों में लागू करना है। सरकार का इस योजना के तहत देश के इन सभी स्कूलों को विकसित करने का लक्ष्य है। इस योजना के जरिए इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की देखभाल की जाएगी और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा मुहैया कराने का लक्ष्य है ताकि वह अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस कर सकें।
केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा सारा खर्च
इस योजना को सरकार ने 2022-23 से 2026-27 तक के 5 वर्षों के समय में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना को लागू करने के लिए देशभर के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग स्कूलों का चयन किया गया है। इन्हीं स्कूलों को अपग्रेड करने की योजना है। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास की सुविधा दी जाएगी। साथ ही वे दूसरे स्कूलों का भी मार्गदर्शन करेंगे।
ऐसे में इस योजना के जरिए अब गरीब बच्चों को स्मार्ट क्लास से जोड़ा जा रहा है। पीएम श्री योजना के तहत 14,500 स्कूलों को पांच वर्षों में सुधारने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27,360 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इस योजना का सारा खर्च केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस योजना के तहत, केंद्रीय विद्यालयों (केवी) और नवोदय विद्यालयों (एनवी) के साथ-साथ केंद्र संचालित, राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों को पूरे भारत में 'मॉडल' स्कूलों में अपग्रेड किया जाएगा। हालांकि, इस योजना का कुछ राज्य सरकारों, विशेषकर विपक्ष शासित सरकारों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
इन राज्यों ने किया विरोध
पीएम श्री स्कूलों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना पड़ता था। ऐसे में देश के अधिकांश राज्यों ने इसके लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। लेकिन, पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, केरल और दिल्ली ने केंद्र को पत्र लिखकर इस योजना पर 'आशंकाएं और आपत्तियां' व्यक्त की।
केंद्र द्वारा जब इसको लेकर सख्त रूख अपनाया गया और राशि को रोकने के बारे में बताया गया तो इन राज्यों ने अपना विरोध छोड़ दिया और समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गए। उनमें से कुछ ने शिक्षा क्षेत्र में 'दूरगामी प्रभाव' वाली इस योजना को समर्थन दिया और धन भी स्वीकृत कराया। हालांकि, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली सहित तीन राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अड़े रहे और पीएम-श्री योजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
इतने करोड़ खर्च कर रही सरकार
केंद्र ने इस पर आपत्ति जताते हुए पीएम-श्री योजना में शामिल होने से इनकार करने पर इन तीन राज्यों के प्रमुख स्कूल शिक्षा कार्यक्रम, समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के लिए वित्त पोषण रोक दिया। आधिकारिक पोर्टल पर पोस्ट की गई जानकारी के अनुसार, "फंड आवंटन को लेकर राज्यों द्वारा जो विवाद का मुख्य बिंदु बना वह 60:40 फंडिंग अनुपात है। जिसमें केंद्र से 60% खर्च वहन करना है, जबकि राज्य सरकारों को कुल लागत का 40% खर्च करना होगा।"
पांच साल की परियोजना की कुल लागत 27,360 करोड़ रुपये है। जिसमें से केंद्र सरकार को 18,128 करोड़ और राज्य सरकार को 9,232 करोड़ रुपए वहन करना है। आसान भाषा में कहें तो पीएम-श्री योजना का उद्देश्य छात्रों को राष्ट्र-निर्माता और 'भविष्य के लिए तैयार' नागरिक के रूप में विकसित करना है। (IANS इनपुट्स के साथ)