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क्या है NSE फोन टैपिंग केस, जिसमें 6 महीने बाद चित्रा रामकृष्ण को मिली जमानत

‘को-लोकेश’ मामले में कारोबारियों को NSE परिसर में सर्वर लगाने की अनुमति दी गई थी। यह मामला ‘हाईफ्रीक्वेंसी’ कारोबार में कुछ इकाइयों को कथित रूप से आंकड़ा प्राप्त होने में तरजीह देने से जुड़ा है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: February 09, 2023 17:43 IST
NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण

दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के कर्मचारियों की कथित जासूसी व फोन टैपिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को गुरुवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक रामकृष्ण को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत पर जमानत दी। लेकिन NSE फोन टैपिंग केस में ऐसा क्या है कि NSE की पूर्व चीफ को 6 महीने बाद जमानत मिल सकी।

पिछले साल जुलाई में हुई थी गिरफ्तारी

मार्च 2022 में गिरफ्तारी के बाद लगभग सात महीने तक हिरासत में रहने के बाद उन्हें पिछले साल सितंबर में उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामले में जमानत दे दी थी। कथित एनएसई ‘को-लोकेशन’ घोटाले में पूर्व में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार की गईं रामकृष्ण को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 14 जुलाई को वर्तमान मामले में गिरफ्तार किया था। 

NSE परिसर में सर्वर लगाने की इजाजत 
बता दें कि ‘को-लोकेश’ मामले में कारोबारियों को NSE परिसर में सर्वर लगाने की अनुमति दी गई थी। यह मामला ‘हाईफ्रीक्वेंसी’ कारोबार में कुछ इकाइयों को कथित रूप से आंकड़ा प्राप्त होने में तरजीह देने से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मौजूदा मामले में चित्रा की जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया था कि वह साजिश के पीछे "मुख्य साजिशकर्ता" थीं। 

NSE कर्मचारियों के कराए फोन टैप 
ईडी के अनुसार, फोन टैपिंग का मामला 2009 से 2017 की अवधि से संबंधित है जब NSE के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर और अन्य ने NSE और उसके कर्मचारियों को धोखा देने की साजिश रची थी। ईडी के अनुसार इस उद्देश्य के लिए, NSE की साइबर कमजोरियों का आवधिक अध्ययन करने की आड़ में NSE के कर्मचारियों के फोन कॉल को अवैध रूप से टैप करने के लिए आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को लगाया गया। 

चित्रा रामकृष्ण को लेकर कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति सिंह ने 38 पन्नों के आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया रामकृष्ण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कोई भी अनुसूचित अपराध स्थापित नहीं होता है और इस प्रकार धनशोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधान नहीं लगाए जा सकते। अदालत ने यह भी कहा कि ईडी द्वारा किसी भी शिकायत या पीड़ित की पहचान नहीं की गई है, जिसे आरोपियों की धोखाधड़ी के कारण नुकसान हुआ। इसने कहा कि रामकृष्ण के जांच में शामिल होने और देश नहीं छोड़ने सहित कुछ शर्तों के अधीन जमानत दी जाती है।

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