Highlights
- इंटरपोल को कितना जानते हैं आप?
- भारत 1949 में बना था इसका सदस्य
- 90वीं महासभा की बैठक नई दिल्ली में हो रही है
इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन (Interpol) की 90वीं महासभा की बैठक नई दिल्ली में 18 अक्टूबर 2022 से 21 अक्टूबर 2022 तक चलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 अक्टूबर नई दिल्ली में इसका उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों और भ्रष्टाचारियों के सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने का आह्वान किया। इंटरपोल के 99 वर्ष के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब भारत इंटरपोल के इस वार्षिक बैठक की मेजबानी कर रहा है। इस बैठक में पाकिस्तान सहित 195 देशों के डेलिगेट हिस्सा ले रहें हैं, इससे पहले 1997 में भारत ने इंटरपोल के 65वें सेशन की मेजबानी की थी।
इस वर्ष भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत सरकार के विशेष अनुरोध पर इंटरपोल की महासभा के आयोजन का मौका भारत को मिला है। 21 अक्टूबर को इस बैठक के समापन सत्र को भारत के गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे। इंटरपोल के इस सत्र में आतंकवाद, ड्रग तस्करी, अंतरराष्ट्रीय अपराधिक सिंडिकेट और बालयौन हिंसा के मसले पर सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग की रणनीति पर चर्चा होगी।
क्या है इंटरपोल?
इंटरपोल एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका प्रमुख कार्य विभिन्न देशों के पुलिस बलों के बीच समन्वय स्थापित करना है। यह एक अंतरराष्ट्रीय पुलिस समूह है जो वैश्विक स्तर पर हो रहे संगठित अपराध, साइबर अपराध और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए अपने सदस्य देशों की पुलिस को एक साथ काम करने के लिए सक्षम बनाती है और अपराध को कम करने के लिए अपने सदस्य देशों को आतंकवाद और साइबर अपराध से लड़ने के लिए तकनीक मुहैया कराती है। इससे वैश्विक स्तर पर हो रहे अपराधों पर लगाम लगाई जा सके।
इंटरपोल का इतिहास
सन 1923 में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में विभिन्न देशों की पुलिसों में समन्वय के लिए इंटरपोल की स्थापना की गई थी। सन 1923 से 1956 तक इसे "इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कमीशन" के रूप में जाना जाता था, लेकिन 1956 में इसे "इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन" (इंटरपोल) नाम दिया गया। इंटरपोल 'इंटरनेशनल पुलिस' का संक्षिप्त रूप है। भारत 1949 में इसका सदस्य बना।
मुख्यालय और प्रमुख
इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लियोन शहर में है। इसके 7 क्षेत्रीय ब्यूरो भी हैं। इंटरपोल के अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अहमद नासिर अल-रईसी हैं। जुर्गन स्टॉक इस समय इंटरपोल के महासचिव हैं। सीबीआई के विशेष निदेशक प्रवीण सिन्हा इस समय इंटरपोल की समिति में एशिया के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत हैं।
इंटरपोल की संरचना
वर्तमान में 195 देश इंटरपोल के सदस्य हैं। जनरल असेंबली इसका शासकीय निकाय है। इसकी बैठक हर वर्ष एक बार होती है। इसके सभी सदस्य देशों को बराबर मत प्राप्त है। जनरल असेंबली में पारित प्रस्तावों को लागू करवाने के लिए एक 'एग्जीक्यूटिव कमेटी होती है जिसे गवर्निंग बॉडी भी कहा जाता है। इसके 13 सदस्य होते हैं। इसके मुखिया को इंटरपोल का अध्यक्ष कहा जाता है और उसका कार्यकाल 4 साल का होता है। इसके तीन उपाध्यक्ष होते हैं और 9 डेलीगेट होते हैं, जिनका कार्यकाल 3 साल का होता है। इन सभी की नियुक्ति चुनाव के माध्यम से होती है जिसमें सभी सदस्य देश मतदान करते हैं।
सचिवालय के कार्यों की देखरेख के लिए एक 'महासचिव' की नियुक्ति 5 साल के लिए एग्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा की जाती है। महासचिव का कार्य दिन प्रतिदिन की गतिविधियों को देखना और जनरल असेंबली और एग्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा पारित किए गए निर्णय को लागू करना होता है। हम बचपन से समाचार के विभिन्न माध्यम से सुनते या पढ़ते आ रहें हैं कि इस अमुख आतंकवादी और वैश्विक ड्रग माफिया को रेडकॉर्नर नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस इंटरपोल ही जारी करता है। इंटरपोल विभिन्न तरह के 9 नोटिस जारी करता है, जिसमें रेड नोटिस सबसे महत्वपूर्ण है। यह एक प्रकार का गिरफ्तारी वारंट होता है। लेकिन यह किसी भी देश के द्वारा लागू करना बाध्यकारी नहीं है। उदारहण के लिए जैसे दाऊद इब्राहिम और मसूद अजहर के खिलाफ़ भारत ने रेड नोटिस इश्यू करा रखा है, लेकिन पाकिस्तान उन दोनों पर कारवाई नहीं कर रहा।
इंटरपोल की इस बैठक का भारत के लिए महत्व
अमृत काल के दौरान दिल्ली में हो रही इस महासभा की बैठक का महत्व भारत के लिए दो गुना है। सबसे महत्वपूर्ण बात भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। देश ने आतंकवाद से संबंधित हिंसा को कम करके सकारात्मक प्रभाव पैदा किया है। भारत अब एक उन्नत तकनीक वाले देश की श्रेणी में आता है। भारत को चाहिए इंटरपोल के सदस्य देशों के साथ अपनी तकनीक का इस्तेमाल कर वैश्विक स्तर पर हो रहे संगठित अपराध और आतंकवाद को रोकने में अग्रणी भूमिका अदा करे। इससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में शाख और मजबूत होगी।