Highlights
- फेक मीट का मतलब आप आसान भाषा में नकली मीट बोल सकते हैं
- ऑस्ट्रेलिया जैसे तमाम देश इस फेक मीट की कल्चर का अपना चुके हैं
- प्लांट बेस्ट प्रोटीन और सेल बेस्ट प्रोटीन कहते हैं
Fake Meat: दुनिया में फेक मीट की प्रचलन तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे तमाम देश इस फेक मीट की कल्चर का अपना चुके हैं। ऐसे कई लोग आपको मिलेंगे जो शाकाहारी है वो मांस से बनी चीजें को खाना चाहते हैं लेकिन मांस से बने होने कारण खा नहीं पाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में तीन अरब डॉलर का कारोबार हो गया है। ये कल्चर धीरे-धीरे भारत में भी पांव जाम रही है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये फेक मीट क्या है। आप शाकाहारी है तो खा सकते हैं या नहीं है तो आइए समझते हैं कि आखिर कैसे ये फेक मीट क्या है और कैसे बनता है।
क्या है फेक मीट
फेक मीट का मतलब आप आसान भाषा में नकली मीट बोल सकते हैं। आपको बता दें कि फेक मीट पौधे से तैयार किया जाता है। जब लोग "पौधे-आधारित" शब्द सुनते हैं, तो उन्हें लगता है कि इसका मतलब है कि कोई सब्जी जैसा ही होगा, उसे फेक मीट बोलते होंगे। आमतौर पर शाहाकारी भोजन का आंनद उठाने वाले कटहल को भी मांस का मजा लेकर खाते हैं। लेकिन आपको बता दें, नकली मांस के मामले में ऐसा नहीं है। ये पूरी तरह से प्लांट से बनाया जाता है। इसमें दो प्रकार के मीट आते हैं, जिन्हें प्लांट बेस्ट प्रोटीन और सेल बेस्ट प्रोटीन कहते हैं। सुपरमार्केट पर पाए जाने वाले पौधे-आधारित बर्गर और सॉसेज पौधों के खाद्य पदार्थों, अक्सर मटर, सोया, गेहूं प्रोटीन और मशरूम से प्रोटीन निकालकर बनाए जाते हैं लेकिन इन उत्पादों को पारंपरिक मांस की तरह दिखने और स्वाद के लिए असंख्य एडिटिव्स की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए मांस के नरम और रसदार बनावट की नकल करने में मदद करने के लिए रासायनिक रूप से परिष्कृत नारियल तेल और ताड़ के तेल को अक्सर पौधे-आधारित बर्गर में मिलाया जाता है। बीटरूट के अर्क जैसे रंग एजेंटों का उपयोग बियॉन्ड मीट के कच्चे बर्गर में किया गया है ताकि मांस के पकने पर होने वाले रंग परिवर्तन की मांस की तरह ही दिखे।
क्या ये हानिकारक है?
ऑस्ट्रेलियाई सुपरमार्केट में उपलब्ध 130 से अधिक उत्पादों के जांच में पाया गया कि प्लांट बेस्ड उत्पाद औसतन कैलोरी और संतृप्त वसा में कम थे जबिक मांस उत्पादों की तुलना में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर में अधिक थे। हालांकि सभी प्लांट-आधारित उत्पाद समान नहीं बनाए जाते हैं। उत्पादों के बीच पोषण सामग्री में काफी अंतर होता है। उदाहरण के लिए, इस जांच में प्लांट-आधारित बर्गर की संतृप्त वसा सामग्री 0.2 से 8.5 ग्राम प्रति 100 ग्राम तक थी, जिसका अर्थ है कि कुछ पौधे-आधारित उत्पादों में वास्तव में बीफ़ पैटी की तुलना में अधिक संतृप्त वसा होता है। पौधे आधारित उत्पादों में नमक का मात्रा अधिक होता है। पौधे आधारित कीमा में मांस सामान्य उत्पादों की तुलना में छह गुना अधिक सोडियम हो सकता है जबकि पौधे आधारित सॉसेज में औसतन दो तिहाई कम सोडियम होता है। तो अब आपके मन ये सवाल आ रहा होगा कि ये इसे खाया जा सकता है। हम आपको बता दे, स्वस्थ आहार के रूप में इसका आंनद ले सकते हैं। आप इस तरह के मांस का खाते समय ध्यान रखे कि कम और उच्च फाइबर की जांच करके खाए।