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Nancy Pelosi: चीन और ताइवान दोनों देशों की रक्षा बजट क्या है? किसके पास कितना है हथियार

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार की रात ताइवान में कदम रखा। इसके साथ ही वह 25 साल में स्वशासित द्वीप का दौरा करने वाली अमेरिका की सर्वोच्च अधिकारी बन गई हैं। पेलोसी की यात्रा से चीन और अमेरिका के बीच कड़वाहट बढ़ गई है। चीन दावा करता रहा है कि ताइवान उसका भाग है।

Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Aug 03, 2022 15:49 IST, Updated : Aug 03, 2022 15:49 IST
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Image Source : PTI CHINA WAR

Highlights

  • ताइवान के पास 88 हजार थल सैनिक है
  • चीन का रक्षा बजट 230 अरब डॉलर है
  • ताइवान के पास 35 हजार वायू लड़ाकु है

Nancy Pelosi: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार की रात ताइवान में कदम रखा। इसके साथ ही वह 25 साल में स्वशासित द्वीप का दौरा करने वाली अमेरिका की सर्वोच्च अधिकारी बन गई हैं। पेलोसी की यात्रा से चीन और अमेरिका के बीच कड़वाहट बढ़ गई है। चीन दावा करता रहा है कि ताइवान उसका भाग है। वह विदेशी नेता और अधिकारियों के ताइवान दौरे का विरोध करता है क्योंकि उसे लगता है कि यह द्वीपीय क्षेत्र को संप्रभु के रूप में मान्यता देने के समान है। चीन ने धमकी दी थी कि यदि पेलोसी ताइवान की यात्रा करती हैं तो इसके ‘‘गंभीर परिणाम’’ भुगतने होंगे। अमेरिकी वायुसेना के विमान से पहुंची पेलोसी और उनके प्रतिनिधिमंडल का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने ताइपे हवाई अड्डे पर स्वागत किया। पूरी दुनिया की नजर इस यात्रा पर टिकी हुई है।

ताइवान और चीन की ताकत

चीन की ताकत से दुनिया वाकिफ है लेकिन क्या ताईवाइन चीन का सामना कर पाएगा आपके मन ये सवाल उठ रहे होंगे। आपको बता दें कि ताइवान के पास 88 हजार थल सैनिक है जबकि चीन के पास 9.65 लाख थल सैनिक है। वही चीन के पास 2.65 लाख नौसैनिक है और ताईवान के पास 40 हजार सैनिक है। अगर वायूसेना की बात करें तो 4 लाख वायूसैनिक और ताइवान के पास 35 हजार वायू लड़ाकु है। इन दोनों देशों के रक्षा बजट की तुलना करें तो चीन कई गुना ताइवान से आगे है। चीन का रक्षा बजट 230 अरब डॉलर है तो ताइवान का 16 अरब डॉलर है ऐसे में ताइवान चीन से इस तुलना में दुर-दुर तक नहीं है। वही बात करें एयरक्राफ्ट की तो ताइवान के पास 741 है और चीन के पास 3285 है। इनमें चीन के पास 1200 फाइटर एयर क्राफ्ट है तो वही ताइवान के पास मात्र 228 है। अगर इसमें सबसे घातक यानी डेडीकेटेड एयरक्राफ्ट की तो ताइवान के पास एक भी नहीं है लेकिन चीन के पास 317 के आस-पास है। अब वायूसेना से जुड़ी वाहनों की बात करें तो ताइवान के पास 19 है जबकि चीन के पास 286 है। अगर लड़ाकू हेलीकॉप्टर की बात करें तो चीन के पास 912 से है और ताइवान के पास 208 है और इनमें से 91 अटैक हैलीकॉप्टर है। वही बात करें घातक

टैकों की तो चीन के पास 5250 अत्याधुनिक घातक टैंक है जबकि ताइवान के पास 1110 टैंक है। चीन के पास आरमर्ड वाहन 35,000 है और ताइवान के पास 3472 है। रक्षा के तुलानत्मक नजरीय़े से चीन के सामने ताइवान की कोई हैयसियत नहीं है लेकिन दुनिया की सूपर पावर कहे जाने वाला देश अमेरिका ताइवान को हमेशा से सर्पोट करते आ रहा है जिसके के कारण चीन को ताइवान आंख दिखान की जुरुत करता है

आखिर चीन और ताइवान का इतिहास क्या है?

ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ, क्वानझोउ और जियामेन के चीनी शहरों के सामने है। यहां शाही किंग राजवंश का शासन चलता था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद, ये द्वीप वापस चीनी हाथों में चला गया। माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों द्वारा मुख्य भूमि चीन में गृह युद्ध जीतने के बाद, राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी के नेता च्यांग काई-शेक 1949 में ताइवान भाग गए। च्यांग काई-शेक ने द्वीप पर चीनी गणराज्य की सरकार की स्थापना की और 1975 तक राष्ट्रपति बने रहे।

चीन ने कभी भी ताइवान के अस्तित्व को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। उसका तर्क है कि यह हमेशा एक चीनी प्रांत था। ताइवान का कहना है कि आधुनिक चीनी राज्य 1911 की क्रांति के बाद ही बना था, और यह उस राज्य या चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा नहीं है, जो कम्युनिस्ट क्रांति के बाद स्थापित हुआ था। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव जारी है। आपको बता दें चीन और ताइवान के आर्थिक संबंध भी रहे हैं। ताइवान के कई प्रवासी चीन में काम करते हैं और चीन ने ताइवान में निवेश किया है।

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