Friday, November 22, 2024
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चंद्रयान-3 : चांद की सतह का अध्ययन जारी, 14 दिनों के बाद क्या करेंगे लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ?

चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर रहा है। ये दोनों उपकरण डेटा कलेक्ट कर इसरो को भेज रहे हैं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: August 25, 2023 10:03 IST
चंद्रयान-3- India TV Hindi
Image Source : PTI चंद्रयान-3

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर कामयाबी की एक नई इबारत लिख दी है। चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग में मिल असफलता के बाद इस कामयाबी पर पूरा देश जश्न मना रहा है। इस बीच चांद पर सतह पर विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान अपने रिसर्च के मिशन में जुट गए हैं। चांद की सतह अध्ययन जारी है। रोवर प्रज्ञान चांद के सतह की स्टडी में जुटा हुआ है। वहीं विक्रम लैंडर के उपकरण भी एक्टिव हैं। 

अगले 14 दिनों का समय काफी अहम 

चंद्रयान-3 के लिए अगले 14 दिनों का समय काफी अहम है। क्योंकि चंद्रमा पर एक चंद्र दिवस धरती के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर अपने साथ छह साइंटिफिक पेलोड लेकर गए हैं। अगले 14 दिनों में इन्हें जिज्ञासाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त डेटा इकट्ठा करना है। क्योंकि इसके बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी। 

रात होने पर लैंडर और रोवर हो जाएंगे निष्क्रिय

रात होने पर रोवर और लैंडर काम नहीं कर पाएंगे। क्योंकि इन्हें सूर्य की रोशनी से ऊर्जा मिल रही है। रात होनेपर इन्हें ऊर्जा नहीं मिलेगी और ये निष्क्रिय हो जाएंगे। वहीं चंद्रमा पर रात का तापमान माइनस 100 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। ऐसी स्थिति में इन्हें गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। अगर ये दोनों 14 दिन के बाद भी सही सलामत काम कर सकते हैं तो ये वैज्ञानिकों के लिए बहुत अच्छा होगा।

रोवर अपना डेटा लैंडर को भेजेगा

रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। यह ध्रुवीय इलाके के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों की माप करेगा। अपने कार्य के दौरान रोवर लैंडर के संपर्क में रहेगा और लैंडर डेटा को इसरो के मिशन कमांड सेंटर में वापस भेज देगा। वहीं इसरो का रोवर से कोई सीधा संबंध नहीं होगा। बता दें कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आज तक कोई नहीं पहुंचा है। पहली बार चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने इस इलाके में लैंड किया है।

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