Highlights
- 2022 के दौरान 3,555 मामले दर्ज किए गए हैं
- 99 हजार 355 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है
- मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 1,867 केस दर्ज किए गए
ED: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल लाल किले के प्राचीर से संदेश दे दिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। वैसे तो प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार को लेकर काफी सख्त होते हैं लेकिन इस बार आजादी के मौके पर उन्होंने इशारों ही इशारों में भ्रष्ट नेताओं को चेतावनी भी दे दिया था। इसी बीच केंद्रीय एजेंसियां पूरे देश में लगातार छापेमारी कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देखा जाए तो पिछले 8 सालों में मोदी के कार्यकाल में छापेमारी काफी तेजी से हो रही है। ईडी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से लेकर 2022 के दौरान 3,555 मामले दर्ज किए गए हैं इसके अलावा 99 हजार 355 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है।
मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कितने मामले दर्ज किए गए?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2005 से लेकर मार्च 2014 तक मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 1,867 केस दर्ज किए गए। मनमोहन सरकार में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 4,156 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी जबकि मोदी सरकार में पिछले चार महीनों में 7,883 करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है। इन आंकड़ों को देखा जाए तो यूपीए सरकार के 9 साल के मुकाबले 88% से ज्यादा है।
वही अप्रैल 2021 से लेकर नवंबर 2021 के बीच पूरे देश में मनी लॉन्ड्री के तहत 395 मामले दर्ज किया गया। इसमें 8,989.26 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की गई। आपको बता दें कि 2002 में मनी लांड्रिंग एक्ट को लागू किया गया था। 2002 से लेकर 2022 के बीच कुल 5,422 मामले दर्ज किए गए। इसमें 1.04 लाख करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है। इन मामलों में अब तक 400 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मोदी सरकार और मनमोहन सरकार
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ईडी ने 112 छापेमारी की और इन छापेमारी से 5,346 करोड़ की संपत्ति पकड़ी गई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ईडी ने 112 छापेमारी की और इन छापेमारी से 5,346 करोड़ की संपत्ति पकड़ी गई। जबकि 2014 के बाद ईडी ने 2,974 छापेमारी की और इन छापेमारी में तकरीबन 95,486 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त की गई।
ईडी पिछले 1 सालों में काफी तेज कार्रवाई कर रही है। आपको याद होगा कि यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल दिसंबर में कन्नौज में एक उत्तर व्यापारी उज्जैन के ठिकानों पर छापामारी कर लगभग ₹200 कैश जब्त किया था। पिछले दिनों में ममता बनर्जी की करीबी रहे पास चटर्जी की दोस्त अमृता मुखर्जी के ठिकानों से भी ईडी ने कई करोड़ रुपए कैश में बरामद किए थे। इसके बाद ईडी ने लगातार कार्रवाई करते हुए झारखंड में अवैध खनन के मामले में 36 करोड़ रुपये पकड़े तो वही आईएस पूजा सिंघल के सीए के घर से 17 करोड़ कैश जब्त किए।
पैसे वापस मिल जाते हैं
ईडी कहीं भी जब छापेमारी करती है तो उसके पास अधिकार होता है, अपने अधिकारों के तहत वह छापामारी कर कई करोड़ कैश रुपए बरामद करती है। इन पैसों का इस्तेमाल ईडी बिल्कुल भी नहीं कर सकती है। जिस व्यक्ति का पैसा होता है, उसे कोर्ट में उन पैसों का सबूत देना होता है अगर व्यक्ति कोर्ट में सारे सबूत दे देता है तो उसकी रकम वापस कर दी जाती है। और साथ ही साथ उस व्यक्ति को मामले में बरी दे दी जाती है। अगर व्यक्ति कोई प्रूफ नहीं दे पाता है, तब इस रकम को गलत तरीके से अर्जित किए गए धन के दायरे में ईडी द्वारा रख दिया जाता है। जिसके बाद पैसे भारत सरकार के पास चले जाते हैं।
हर नोट का रखा जाता है हिसाब
ईडी जब भी छापेमारी में कैश बरामद करती है तो उसकी पूरी जानकारी इकट्ठा करती है। मनी लांड्रिंग एक्ट के मुताबिक छापेमारी में कैश जब्त होने के बाद मौके पर भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी को बुलाया जाता है। अधिकारियों के द्वारा नोटों की गिनती कराई जाती है। इन छापेमारी में पूरी कागजी कार्रवाई की जाती है साथ ही साथ एक स्वतंत्र गवाह भी शामिल होता है।
छापेमारी के दौरान एक जब्ती में मेमो बनाया जाता है जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा रहता है कि 200,500 और 2000 हजार के नोट कितने बरामद हुए। इन नोटों को एक बॉक्स में भरकर नजदीकी एसबीआई बैंक में जमा करा दिया जाता है। अगर व्यक्ति पैसे का प्रूफ दे देता है तो उसे वापस कर दिया जाता है अगर ऐसा करने में वह असफल होता है तो यह सारे पैसे केंद्र सरकार के हो जाते हैं।