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कश्मीर में एक दशक पहले लापता हो गई थी पश्चिम बंगाल की महिला, जब मिली तो परिवार रह गया दंग

पश्चिम बंगाल की महिला कश्मीर में एक दशक पहले लापता हो गई थी। लेकिन अब उसे उसके परिवार से मिलवा दिया गया है।

Edited By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: June 18, 2023 18:59 IST
West Bengal woman- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE PIC एक दशक बाद मिली लापता महिला

कोलकाता: कई बार जीवन में ऐसी चौंकाने वाली घटनाएं होती हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। एक ऐसा ही मामला पश्चिम बंगाल की महिला से जुड़ा हुआ है, जो एक दशक पहले कश्मीर में लापता हो गई थी लेकिन अब उसके परिवार से उसे मिलवा दिया गया है। महिला को पाकर उसका परिवार बेहद खुश है।

क्या है पूरा मामला

कश्मीर में एक दशक पहले लापता हुई पश्चिम बंगाल की एक महिला को पुलिस और रेडियो क्लब की मदद से उसके परिवार से मिला दिया गया है। ये महिला तीन बच्चों की मां है और शनिवार को बारामूला क्षेत्र के एक गांव में वह अपने परिवार से मिली। 

महिला के भाई हसन शेख ने ये जानकारी दी। महिला ने कुछ समय पहले अपने एक रिश्तेदार की मदद से राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) का दरवाजा खटखटाया था और लंबे समय से बिछड़े अपने परिवार से मिलाने की प्रार्थना की थी। 

एनसीडब्ल्यू को लिखे पत्र में, वह केवल इतना बता पाई कि वह पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र से है और उसके घर का निकटतम रेलवे स्टेशन जयनगर था। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि महिला आयोग ने लगभग एक महीने पहले स्थानीय पुलिस से संपर्क किया, जिसने पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब की मदद से महिला के परिवार से संपर्क किया और उन्हें महिला का संदेश दिया। 

पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के सचिव का बयान सामने आया

पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग विश्वास ने कहा, 'बरुईपुर महिला थाने से प्रारंभिक जानकारी मिलने के बाद, हम कुलतली थाना क्षेत्र के देउलबाड़ी गांव में उसके परिवार का पता लगाने में सफल रहे।'

अंबरीश ने कहा, 'रेडियो क्लब के विशाल नेटवर्क और कुलतली थाने के कर्मियों ने हमें परिवार का पता लगाने में मदद की।' महिला के परिवार के पांच सदस्य, उसकी मां और भाई सहित, 14 जून को कश्मीर के लिए रवाना हुए और आखिरकार लगभग एक दशक के बाद शनिवार को उसके ससुराल में परिवार के सदस्य फिर से मिले। 

कुलतली थाने के एक अधिकारी ने कहा कि विभिन्न पुलिसकर्मियों ने पैसे का योगदान दिया और महिला के परिवार के लिए ट्रेन के टिकट खरीदे ताकि वे अपनी बच्ची से मिल सकें। लेकिन उससे बात करना काफी मुश्किल काम था। 

अंबरीश ने कहा, 'इन वर्षों में वह अपनी मातृभाषा भूल गई और अब बंगाली नहीं बोल सकती। हमने एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान एक अनुवादक (कश्मीर में एक रेडियो क्लब सदस्य) की मदद से उससे बात की।' उन्होंने कहा, 'शुरुआत में, उसने हमसे बात करने से इनकार कर दिया क्योंकि हम उसके लिए अजनबी थे। कश्मीर में रेडियो क्लब के सदस्यों ने एक दिन एक स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि को उसके घर भेजा। तब से हमारे लिए चीजें आसान हो गईं।'

उसके परिवार ने कहा कि कश्मीर में उसकी शादी के बाद से उसका संपर्क टूट गया था। हालांकि, रेडियो क्लब के सचिव ने कहा कि वह वहां एक रिश्तेदार के साथ गई थी, जो उसके बिना लौटा और परिवार को सूचित किया कि उसने वहां एक व्यवस्था की है जहां उसकी अच्छी देखभाल की जाएगी। बरुईपुर के एक अधिकारी ने कहा, 'हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इतने साल तक उसका पता क्यों नहीं लग पाया, लेकिन हम खुश हैं कि एक परिवार अपनी बेटी के साथ फिर से मिल गया है, और इसमें हमारा एक छोटा सा योगदान है।' (इनपुट: भाषा)

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