नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने तृणमूल कांग्रेस के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर पलटवार किया है। शर्मा ने बुधवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की पुलिस तृणमूल कांग्रेस के दबाव में आसानी से मामले दर्ज नहीं करती है और इसकी वजह से महिलाओं को अधिक परेशानी होती है। वहीं, उत्तर प्रदेश पर उन्होंने कहा कि सूबे की पुलिस बिना किसी सियासी दबाव के काम करती है। रेखा शर्मा ने TMC की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर किए गए एक पोस्ट के जवाब में यह बात कही।
यूपी के क्राइम डेटा पर TMC ने बोला हमला
बता दें कि TMC ने पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायतें दर्ज होने की रिपोर्ट का हवाला दिया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में सबसे ज्यादा 16,109 शिकायतें दर्ज की गईं, जो कुल मामलों का लगभग 55 प्रतिशत है। TMC ने अपने पोस्ट में कहा, ‘भारत के राष्ट्रीय महिला आयोग के एक और चौंकाने वाले आंकड़े के मुताबिक, पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायतें दर्ज की गईं, जिसमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 16,109 शिकायतें दर्ज की गईं, जो कुल मामलों का लगभग 55 फीसदी है।’
तृणमूल ने उठाए थे रेखा शर्मा पर सवाल
तृणमूल ने अपने पोस्ट में कहा, ‘NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा ऐसे घृणित आंकड़ों पर चुप क्यों हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उत्तर प्रदेश में BJP सरकार की पूरी विफलता को दर्शाता है? क्या चिंताएं और मुद्दे BJP की सुविधा के अनुसार उठाए गए हैं या यह 'सुप्रीमो' से सवाल करने पर पद खोने का डर है?’ NCW की अध्यक्ष ने तृणमूल के ट्वीट पर उत्तर प्रदेश का बचाव किया और लिखा कि आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस बिना किसी सियासी दबाव के काम करती है और वहां की महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं।
‘बंगाल में महिलाओं को अंधेरे में रखा जाता है’
रेखा शर्मा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में पुलिस बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करती है और मामले दर्ज करती है। इससे यह भी पता चलता है कि प्रदेश में महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति कितनी जागरूक हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल के दबाव में पुलिस आसानी से केस दर्ज नहीं करती जिससे महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है। इससे यह भी पता चलता है कि बंगाल में महिलाओं को अंधेरे में रखा जाता है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के कारण महिलाओं को उचित शिक्षा नहीं मिल पाती है और वे अपने अधिकारों के बारे में जागरूक नहीं हैं।’