नई दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वादा किया है कि राज्य में रहने वाले लिव-इन जोड़ों को नए समान नागरिक संहिता विधेयक का अनुपालन नहीं करने पर पुलिस और प्रशासन द्वारा "अनुचित रूप से परेशान" नहीं किया जाएगा।
‘हमने एक समिति का गठन किया है’
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में सवालों के जवाब देते हुए धामी ने कहा,'मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने यूसीसी विधेयक पारित होने के तुरंत बाद नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है ताकि पुलिस और प्रशासन में से कोई भी इसके प्रावधानों का दुरुपयोग न कर सके। नियम यह सुनिश्चित करेंगे कि लोगों (लिव-इन जोड़ों) को अनुचित रूप से परेशान न किया जाए, और उनके साथ कोई दुर्व्यवहार, ज्यादती न हो। उन पर अनावश्यक दबाव न बनाया जाए और उन्हें परेशान न किया जाए। हमारा यह दायित्व है कि इस कानून का इम्प्लिमेंटेशन आने वाले समय में सबके लिए मॉडल हो।’ 'आप की अदालत' का प्रसारण शनिवार रात 10 बजे और इसका पुन: प्रसारण रविवार सुबह 10 बजे किया जाता है।
लिव-इन जोड़ों के करवाना होगा रजिस्ट्रेशन
यूसीसी कानून के प्रावधानों को आसानी से लागू करने, और इसकी प्रक्रियाओं और सक्षम स्तर के अधिकारियों के पदनाम से जुड़े नियमों का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए पिछले सप्ताह एक पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप को भी शामिल किया गया है। इसके तहत लिव-इन जोड़ों को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा और इसका रिकॉर्ड पुलिस स्टेशन में रखा जाएगा। इसमें लिव-इन रिलेशनशिप का प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर 6 महीने तक की जेल की सजा का भी प्रावधान है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि उत्तराखंड की सरकार लोगों के ‘बेडरूम मे झांककर’ उनकी प्राइवेसी पर हमला कर रही है और ‘नैनी स्टेट’ की तरह काम कर रही है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जो भी प्रावधान किया गया है वह शशि थरूर जी की सुविधा के लिए नहीं किया गया है। ऐसा हमारे बेटे-बेटियों की सुरक्षा के लिए किया गया है ताकि उनके माता-पिता जान सकें कि उनके बच्चे कैसे रहते हैं। आपने देखा कि गोवा में कैसे लाश के टुकड़े सूटकेस में मिले। लिव-इन के दौरान जन्मे बच्चों की देखभाल नहीं हो पाती, उन्हें संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता। रजिस्ट्रेशन का प्रावधान हमने सुरक्षा के लिए किया है।’
‘5-10 साल के बाद मोहब्बत गड़बड़ा जाती है’
धामी ने कहा, ‘हमारा ध्येय किसी को परेशान करना नहीं, लेकिन कम से कम सुरक्षा तो हो बच्चों की। आज मोहब्बत है, 5-10 साल के बाद मोहब्बत गड़बड़ा जाती है। उसके बाद वे एक दूसरे पर इल्जाम लगाना शुरू कर देते हैं।’ जब रजत शर्मा ने पूछा कि लिव-इन जोड़ों के लिए अलग होने पर पुलिस को सूचित करने का प्रावधान क्यों किया गया है, तो पुष्कर सिंह धामी ने जवाब दिया: ‘नहीं, उन्हें बेवफाई का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाना होगा। उन्हें केवल सूचना देनी होगी कि हम साथ नहीं रहते हैं। यह कानून किसी को टारगेट करने के लिए नहीं बनाया गया है।’
धामी ने कहा, ‘सरकार ने अभिभावक बन कर यह कानून बनाया है ताकि उनका भविष्य ठीक रहे।अगर साथ में रहते-रहते उनके बच्चे पैदा हो जाते हैं, तो उन बच्चों के भविष्य की भी चिंता की है। अगर वे रहते हैं तो रहें, लेकिन उनके माता-पिता को सूचना होनी चाहिए। सोचिए कि जब कोई अनहोनी होती है तो उनके माता-पिता पर क्या गुजरती है।’ 'लव जिहाद' पर बात करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘लव जिहाद जैसी चीजें बहुत ही खराब हैं। ऐसी घटनाएं उत्तराखंड में बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं। देवभूमि में इसके लिए कोई स्थान नहीं है। देवभूमि पवित्र रहनी चाहिए।’
‘धार्मिक मान्यताओं में छेड़छाड़ नहीं की गई है’
मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बारे में पूछे जाने पर कि यूसीसी कानून शरिया और इस्लामी आदेशों के खिलाफ है, धामी ने कहा, ‘जिस धर्म में जो मान्यताएं चली आ रही हैं, उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। जहां तक शादियों का सवाल है, तो उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। मुसलमान निकाह कर सकते हैं, ईसाई अपने नियमों के तहत विवाह कर सकते हैं, हिंदू सात फेरे ले सकते हैं और सिख आनंद कारज का पालन कर सकते हैं।’
धामी ने कहा कि बीजेपी ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता कानून लाने का वादा किया था। उन्होंने कहा, ‘यूसीसी हमारा संकल्प था। मोदी जी का ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संकल्प है। उत्तराखंड देवभूमि है। उत्तराखंड गंगा, यमुना का प्रदेश है। ऋषि मुनियों की भूमि है। संविधान का अनुच्छेद 44 स्पष्ट रूप से सभी के लिए समान नागरिक संहिता लाने का प्रावधान करता है। उत्तराखंड की जनता ने इस पर हमें आशीर्वाद दिया। हमने जनता के साथ किए गए वादे को पूरा किया।’
धामी ने कहा, यूसीसी कानून में ‘तलाक और बहुपत्नी व्यवस्था समाप्त होगी। हम मातृशक्ति का उत्पीड़न नहीं होने देना चाहते। अब देश में शरीयत नहीं चलेगी। समान नागरिक संहिता चलेगी। जो लोग संविधान पर विश्वास करते हैं, उन्हें फायदा होगा और हलाला जैसी कुरीतियों से छुटकारा मिलेगा।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हरिद्वार में मुस्लिम महिलाओं से मिले जिन्होंने यूसीसी कानून की सराहना की और उन्हें बताया कि उन्हें एक बड़े अभिशाप से मुक्ति मिल गई है। सीएम धामी ने कहा, ‘मुस्लिम महिलाओं ने मुझसे कहा कि उनका जो आत्मसम्मान गिर रहा था, वह वापस मिला है।’
‘हिंदुत्व अगर उत्तराखंड में नहीं होगा, तो और कहां होगा?’
रजत शर्मा द्वारा पूछे जाने पर कि क्या उत्तराखंड को हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है, धामी ने जवाब दिया, ‘प्रयोगशाला जैसी कोई बात नहीं। उत्तराखंड की जनता ने हमें मैंडेट दिया है। हिंदुत्व अगर उत्तराखंड में नहीं होगा, तो और कहां होगा?’ हाल ही में हल्द्वानी में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उत्तराखंड में जो अतिक्रमण किया गया, अवैध कब्जे हुए, सरकारी जमीनों को कब्जाने का काम किया गया, इसे कौन वैध ठहरा सकता है? अतिक्रमण हम लगातार हटा रहे हैं। उत्तराखंड में मजारों को वन भूमि, राजस्व भूमि, सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी की भूमि पर बनाया गया। जब मजारों को खोदा गया तो उनमें कोई अवशेष नहीं मिला। इसलिए हमने इसे लैंड जिहाद की संज्ञा दी।’
धामी ने कहा: ‘हम अपनी देवभूमि के 'मूल स्वरूप' में कोई परिवर्तन नहीं होने देंगे। मस्जिद अगर गलत जगह पर बनी है तो उसे अतिक्रमण माना जाएगा, और हटाया जाएगा।’ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ‘हम देवभूमि की डेमोग्राफी को किसी भी कीमत पर बदलने नहीं देंगे, प्रभावितन नहीं होने देंगे।’