Highlights
- हर व्यक्ति को अपना पहला अनुभव याद होता है: राघव चड्ढा
- 'पहले प्यार' को लेकर की गई टिप्पणी पर बोल पड़े उपराष्ट्रपति
- पहला प्यार अच्छा होता है, वही हमेशा रहना चाहिए: वेंकैया नायडू
VP Venkaiah Naidu Farewell Today: राज्यसभा में आज सोमवार को सभापति के रूप में एम वेंकैया नायडू को विदा देते हुए अधिकतर सदस्यों ने जहां उनके हास्यबोध और हाजिरजवाबी की सराहना की, वहीं खुद उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) सदस्य राघव चड्ढा की 'पहले प्यार' को लेकर की गई एक टिप्पणी पर ऐसी चुटकी ली, जिससे AAP के सदस्य सहित पूरे सदन में हंसी की लहर दौड़ गई।
आम आदमी पार्टी के सदस्य राघव चड्ढा ने राज्यसभा में सभापति के रूप में नायडू के योगदान को याद किया। उन्होंने सदन में आने के अपने पहले दिन के अनुभव को याद करते हुए कहा, "हर व्यक्ति को अपना पहला अनुभव याद होता है। स्कूल का पहला दिन, पहला प्रिंसिपल, पहली टीचर, पहला प्यार।" उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने संसदीय जीवन की शुरुआत की, तो उसमें पहले सभापति नायडू ही थे, इसलिए वह सदैव उन्हें याद रखेंगे।
'राघव, मेरे ख्याल से प्यार एक ही होता है ना?- वेंकैया नायडू
राघव चड्ढा ने जब अपनी बात खत्म की, तो नायडू ने प्रश्न किया, "राघव, मेरे ख्याल से प्यार एक ही होता है ना? एक बार, दो बार, तीसरी बार। ऐसा होता है, नहीं ना। पहला ही प्यार होता है ना?" इस पर मुस्कुराते हुए चड्ढा ने कहा, "मैं इतना अनुभवी नहीं हूं।" इसके जवाब में नायडू ने भी हंसते हुए कहा, "पहला प्यार अच्छा होता है, वही हमेशा रहना चाहिए। जिंदगी भर वही रहना चाहिए।" सभापति की इस टिप्पणी से पूरे सदन में हंसी की लहर दौड़ गई।
वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा
बता दें कि उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इस बीच, सभापति को आज संसद भवन में विदाई दी गई। इस दौरान उन्होंने कहा, "हम दुश्मन नहीं हैं, हम प्रतिद्वंद्वी हैं। हमें प्रतिस्पर्धा में दूसरों को पछाड़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, लेकिन दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। मेरी इच्छा है कि संसद अच्छी तरह से काम करें, मैं आभारी हूं। आपके प्यार और स्नेह से प्रभावित हूं।"
आंसू इसलिए थे, क्योंकि मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी- वेंकैया नायडू
उन्होंने कहा, "जिस दिन प्रधानमंत्री ने मुझे बताया कि मुझे भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए चुना जा रहा है, मैं रो रहा था, मैंने इसके लिए नहीं कहा। पार्टी ने जनादेश दिया था, मैंने इसके लिए बाध्य होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आंसू इसलिए थे, क्योंकि मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी।" उपराष्ट्रपति ने कहा, "मैंने सदन को बनाए रखने की पूरी कोशिश की। मैंने सभी पक्षों- दक्षिण, उत्तर, पूर्व, पश्चिम, उत्तर-पूर्व को समायोजित करने और मौके देने का प्रयास किया। आप में से प्रत्येक को समय दिया गया है।"