शिमला में मंगलवार सुबह निर्माणाधीन टनल भरभराकर गिर गई। कालका से शिमला निर्माणाधीन फोरलेन पर संजौली के चलौंठी में टिटरी टनल का काम चल रहा है। सोमवार शाम को यहां कुछ पत्थर और मिट्टी गिरनी शुरू हुई। इसके बाद मैनेजर ने सूझबूझ दिखाई और टनल में काम में लगे कर्मचारी और मशीनरी बाहर निकाल लिया गया। इसी समझदारी और सतर्कता की वजह से कर्मचारियों की जान बच गई और मशीन को भी कोई नुकसान नहीं हुआ। NHAI के प्रोजेक्ट मैनेजर अचल जिंदल ने बताया कि जहां टनल का पोर्टल (गेट) बन रहा था। वहां मलबा डंप हो गया था। पोर्टल को पक्का करने का काम चल रहा था। तेज बारिश में टनल के पोर्टल पर भूस्खलन हो गया।
गौरतलब है कि शिमला में इन दिनों टनल बनने का काम चल रहा है। मल्याणा से चलोंठी तक फोर लेन की टनल बनने का काम जारी है। हेलीपेड के पास बन रही टनल बरसात के कारण गिर जाने से लोगो में डर बैठ गया है।
हिमाचल में बादल फटने से तबाही
देश के पहाड़ी हिस्सों में बारिश होने पर भूस्खलन की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बड़ी संख्या में जान और माल का नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में 31 जुलाई की मध्यरात्रि को बादल फटा था। इससे आई बाढ़ में जान गंवाने वालों की संख्या शुक्रवार को 26 हो गई थी। शिमला जिले के सुन्नी कस्बे के पास डोगरी इलाके में शुक्रवार सुबह चार शव बरामद किए गए। बादल फटने की यह घटना कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपमंडल में हुई। सबसे ज्यादा नुकसान शिमला और कुल्लू जिले की सीमा पर स्थित समेज गांव को हुआ, जहां करीब 20 लोग अब भी लापता हैं। कुल मृतकों में से 14 शव रामपुर से, नौ मंडी के राजभान गांव से और तीन कुल्लू जिले के निरमंड/बागीपुल से बरामद किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि 27 जून से आठ अगस्त के बीच बारिश से जुड़ी घटनाओं में कुल 100 लोग जान गंवा चुके हैं और राज्य को करीब 802 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
(शिमला से रेशमा कश्यप की रिपोर्ट)
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