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Vice President Election 2022: 5 बार कांग्रेस सांसद, 4 राज्यों की राज्यपाल, फिर सोनिया गांधी से विवाद, जानिए गांधी परिवार के कितने करीब रही हैं मार्गरेट अल्वा

Vice President Election 2022: साल 2008 में बेटे को कर्नाटक विधानसभा का टिकट नहीं मिलने से नाराज हुईं अल्वा के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी।

Edited By: Malaika Imam
Updated on: July 18, 2022 6:38 IST
Margaret Alva- India TV Hindi
Image Source : PTI Margaret Alva

Highlights

  • विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
  • 2014 में राजस्थान के राज्यपाल के रूप में सेवानिवृत्त हुईं
  • अल्वा 1974 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं

Vice President Election 2022: उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाए जाने के एक दिन बाद विपक्ष ने कांग्रेस नेत्री मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है। ऐसे में मार्गरेट अल्वा एक बार फिर राजनीति में वापसी कर रही हैं। इससे पहले भी वह विराम के बाद सार्वजनिक जीवन में वापसी कर चुकी हैं। साल 2008 में बेटे को कर्नाटक विधानसभा का टिकट नहीं मिलने से नाराज हुईं अल्वा के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी। इसके बाद कुछ समय तक सक्रिय राजनीति से दूर रहीं अल्वा को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया था। 

चार दशकों से ज्यादा का राजनीतिक सफर तय करने वालीं 80 वर्षीय अल्वा पांच बार कांग्रेस सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल सहित कई अन्य पदों पर रहीं। उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उनका चयन 2023 के कर्नाटक चुनाव से पहले सामने आया है और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने अल्वा को 'विविधतापूर्ण देश की प्रतिनिधि' करार दिया है। 

 कर्नाटक में कांग्रेस के टिकटों की बिक्री का लगाया था आरोप

अल्वा ने 2008 में सार्वजनिक रूप से 'कर्नाटक में कांग्रेस के टिकटों की बिक्री' का आरोप लगाया था। तब उनके बेटे निवेदित के टिकट के दावे को राज्य के तत्कालीन पार्टी प्रभारी ने खारिज कर दिया था। अल्वा ने तब खुले तौर पर अपने बेटे को टिकट नहीं दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अन्य राज्यों में नेताओं के बच्चों को टिकट दिए गए थे। इसके बाद उन्हें एआईसीसी महासचिव के पद और पार्टी की चुनाव समिति से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने वापसी की और 2014 में राजस्थान के राज्यपाल के रूप में सेवानिवृत्त हुईं। 

32 साल की उम्र में पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं

सोनिया गांधी की करीबी रहीं अल्वा के बेटे निखिल अल्वा भी तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सबसे करीबी सलाहकारों की टीम में शामिल रहे हैं। अल्वा 1974 में 32 साल की उम्र में पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं और 1998 तक चार बार उच्च सदन की सदस्य रहीं। उन्होंने कर्नाटक से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता और 13वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में कार्य किया।

राजीव गांधी ने संसदीय मामलों का राज्य मंत्री बनाया था

अल्वा को 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसदीय मामलों का राज्य मंत्री बनाया था और तब वह सिर्फ 42 वर्ष की थीं। सांसद और बाद में मंत्री के रूप में संसद में अपने तीन दशकों के सफर के दौरान अल्वा ने महिलाओं के अधिकारों, स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण, समान पारिश्रमिक, विवाह कानून और दहेज निषेध संशोधन अधिनियम पर प्रमुख विधायी संशोधनों में भूमिका निभाई। अल्वा को 2004 में पहला राजनीतिक झटका तब लगा, जब वह लोकसभा चुनाव हार गईं। हार के बाद उन्हें संसदीय अध्ययन और प्रशिक्षण ब्यूरो का सलाहकार नियुक्त किया गया। 

उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल भी बनीं

अल्वा महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्यों की प्रभारी एआईसीसी महासचिव के रूप में काम कर चुकी हैं। वह गोवा, गुजरात और राजस्थान के राज्यपाल के रूप में सेवा करने के अलावा उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल भी बनीं। अल्वा के बारे में एक तथ्य यह भी है कि उन्हें उनके ससुर जोआचिम अल्वा और सास वायलेट अल्वा ने राजनीति में जाने के लिए प्रोत्साहित किया था। वायलेट अल्वा और जोआचिम अल्वा दोनों ने 1952 में तत्कालीन बॉम्बे राज्य से क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा में जगह बनाई, जिससे वे संसद के लिए एक साथ चुने जाने वाले पहले दंपति बन गए। 

 मार्गरेट अल्वा कुछ समय के लिए वकालत भी की

मार्गरेट अल्वा मैंगलुरु से ताल्लुक रखती हैं, जहां उनका जन्म पी. ए. नाजरेथ और एलिजाबेथ के घर हुआ था। अल्वा के बचपन के दिनों में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और स्नातक के बाद कानून की डिग्री हासिल की। अल्वा ने कुछ समय के लिए वकालत भी की। उनके तीन बेटे और एक बेटी है। 

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