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'यह बहुत अजीब है', पंजाब में 3,000 सरपंचों के निर्विरोध चुने जाने पर बोला सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान, जब कोर्ट को बताया गया कि पंचायत के 13,000 से अधिक पदों में से 3,000 पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, तो चीफ जस्टिस ने आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह बहुत अजीब है! मैंने ऐसे आंकड़े कभी नहीं देखे... यह बहुत बड़ी संख्या है।"

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Nov 18, 2024 21:56 IST, Updated : Nov 18, 2024 21:58 IST
punjab panchayat election
Image Source : FILE PHOTO पंजाब पंचायत चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस तथ्य को ‘बहुत विचित्र’ बताया कि पंजाब में हाल में हुए चुनावों में 13,000 पंचायत पदाधिकारियों में से 3,000 निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। कोर्ट ने असंतुष्ट उम्मीदवारों को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति दे दी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने और अन्य चुनावी अनियमितता का आरोप लगाने संबंधी याचिका पर पहले नोटिस जारी किए थे। बेंच ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति निर्वाचन आयोग के समक्ष चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और आयोग को 6 महीने में उन पर फैसला करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए या फाड़ दिए गए, वे भी अपनी शिकायतें लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि उनकी याचिकाओं को सीमा अवधि के उल्लंघन के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाओं को गुण-दोष के आधार पर निपटाया जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है, “हम याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति देते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग 6 महीने में याचिकाओं पर फैसला करेगा, देरी होने पर याचिकाकर्ता हाई कोर्ट जा सकते हैं।”

आदेश में कहा गया है, "जिन लोगों के नामांकन खारिज कर दिए गए या कागजात फाड़ दिए गए, वे कानून के अनुसार हाई कोर्ट के समक्ष समीक्षा याचिका दायर कर सकते हैं... यदि हाई कोर्ट में उनकी याचिका खारिज कर दी जाती है तो याचिकाकर्ताओं को इस अदालत में आने का अधिकार है।”

सुनवाई के दौरान चौंक गए चीफ जस्टिस

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, जब कोर्ट को बताया गया कि पंचायत के 13,000 से अधिक पदों में से 3,000 पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, तो चीफ जस्टिस ने आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह बहुत अजीब है! मैंने ऐसे आंकड़े कभी नहीं देखे... यह बहुत बड़ी संख्या है।" एक वकील ने दावा किया कि चुनाव के दौरान एक उम्मीदवार का चुनाव चिह्न हटा दिया गया था। शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि हाई कोर्ट ने सैकड़ों याचिकाओं को प्रभावित पक्षों का पक्ष उचित तरीके से सुने बिना खारिज कर दिया।

बेंच ने 18 अक्टूबर को सुनीता रानी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 15 अक्टूबर को हुए पंचायत चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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