Highlights
- निवर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को दी गई विदाई
- चुटीली टिप्पणियों के लिए पीएम ने उपराष्ट्रपति को सराहा
- उनके कार्यकाल में राज्यसभा के कामकाज 70 प्रतिशत बढ़ा
Venkaiah Naidu Farewell: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि जहां तक वह निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को जानते हैं, उनकी विदाई संभव नहीं है क्योंकि लोग उन्हें किसी न किसी बात के लिए बुलाते रहेंगे। नायडू को विदाई देने के लिए संसद सदस्यों द्वारा संसद भवन परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छे शब्दों का संग्रह नायडू की विरासत को आगे बढ़ाएगा, जिन्होंने हमेशा उच्च सदन और अन्यत्र मातृभाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया।
चुटीली टिप्पणियों के लिए उपराष्ट्रपति को सराहा
पीएम मोदी ने कहा कि नायडू को केंद्र सरकार में शहरी विकास और ग्रामीण विकास दोनों विभागों को संभालने का अनूठा गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि शायद नायडू अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो राज्यसभा के सदस्य थे और इसके सभापति बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाकपटुता और एक वाक्य में की जानी वाली चुटीली टिप्पणियों के लिए उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की सोमवार को सराहना की और कहा कि उनके कार्यकाल में राज्यसभा के कामकाज में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
नायडू की मौजूदगी में सदन में हर भारतीय भाषा को अहमियत
नायडू को राज्यसभा में विदाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च सदन के सभापति के रूप में उन्होंने हमेशा संवाद को प्रोत्साहित किया और कई ऐसे मानदंड स्थापित किए जो एक विरासत के रूप में उनके उत्तराधिकारियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। मोदी ने कहा कि नायडू का हमेशा इस बात पर जोर रहा कि एक सीमा के बाद सदन में व्यवधान पैदा करना उसकी अवमानना के समान होता है। उन्होंने कहा कि सभापति ने हमेशा ‘‘सरकार को प्रस्ताव लाने दें, विपक्ष को उसका विरोध करने दें और सदन को उसका समाधान निकालने दें’’ के सिद्धांत पर काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘आपके कार्य, आपके अनुभव आगे सभी सदस्यों को जरूर प्रेरणा देंगे। अपने विशिष्ट तरीके से आपने सदन चलाने के लिए ऐसे मानदंड स्थापित किये हैं, जो आगे इस पद पर आसीन होने वालों को प्रेरित करते रहेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में नायडू की मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई है और उन्होंने सदन में सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया।