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Uttrakhand News: शानदार नौकरी छोड़ फूल की खेती शुरु की, अब एक फसल से लाखों में हो रही कमाई

Uttrakhand News: उत्तराखंड के प्रगतिशील युवा किसान बालक राम नौटियाल ने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने गांव में गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं। इस व्यवसाय से उन्हें एक फसल में लाखों का मुनाफा हो रहा है। नौटियाल कहते हैं कि उन्हें पूरा उम्मीद है कि वह अपने गांव के युवाओं को रोजगार देने में कामयाब होंगे।

Written By: Pankaj Yadav
Published : Jul 31, 2022 18:57 IST, Updated : Jul 31, 2022 18:57 IST
flower farming
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Highlights

  • नौकरी छोड़ गांव में गेंदे के फूल की खेती शुरु की
  • रोजी-रोटी कमाने के लिए शहरी इलाकों में जाना जरूरी नहीं
  • फूल की खेती से मेरी आमदनी हुई दोगुनी -बालक राम नौटियाल

Uttrakhand News: उत्तराखंड के बालक राम नौटियाल ने 2018 में जौलीग्रांट हवाई अड्डे की नौकरी छोड़ अपने पैतृक गांव में गेंदे के फूल की खेती करना शुरु किया। अब वह इस खेती से एक फसल में लाखों कमा रहे हैं। नौटियाल ने जब अपने गांव लौटने और खेती करने के लिए शहर की अपनी नौकरी छोडी तो वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि उनका फैसला ठीक है। अब चार साल बाद उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है। उत्तरकाशी के लोगों को प्री-वेडिंग, सार्वजानिक समारोहों या धार्मिक रस्मों के लिए फूल खरीदने ऋषिकेश और देहरादून आना पड़ता था, लेकिन अब उनके अपने जिले में ही उन्हें फूल मिल जाते हैं।

पहाड़ों पर भी व्यवसायिक खेती हो सकती है इसे नौटियाल ने सिद्ध कर दिया

29 वर्षीय नौटियाल चिन्यालीसौड प्रखंड में स्थित अपने खूबसूरत गांव तुल्यादा नौकरी छोड़ लौट आए थे। उन्होंने बताया कि उस समय उनका मुख्य इरादा गांव में अपने बूढे़ होते माता-पिता का हाथ बंटाना था लेकिन अब फूलों की खेती उनका पूर्ण कालिक व्यवसाय बन चुका है। यमुनोत्री के विधायक संजय डोभाल कहते हैं, ' उसकी सफलता देखिए। उत्तरकाशी के लोग अब उस सदियों पुरानी मान्यता पर सवाल उठाने लगे हैं कि रोजी-रोटी कमाने के लिए शहरी इलाकों में जाना जरूरी है।' विधायक ने कहा कि उत्तराखंड की पहाड़ियों पर कई प्रकार के फूल उगते हैं लेकिन उनकी व्यवसायिक खेती पहाड़ पर रहने वाले लोगों के लिए आजीविका कमाने का विकल्प कभी नहीं था। हालांकि, नौटियाल ने सिद्ध कर दिया है कि यह संभव है। ऐसे समय में जब उत्तराखंड के पहाड़ों से लगातार पलायन और गांवों में कम हो रही जनसंख्या प्रशासन और सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ है, वे नौटियाल की सफल कहानी को यहां से चले गए लोगों के सामने पेश कर सकते हैं। 

पहले सब्जी फिर फूलों की खेती में हाथ आजमाया

गांव लौटकर नौटियाल ने अपने खेत में पहले टमाटर, बैगन, खीरा और नींबू बोए और उनकी फसल इतनी शानदार हुई कि उन्होंने बागवानी में अवसर तलाशने का फैसला लिया। नौटियाल की सब्जी और फलों की स्थानीय बाजार में हमेशा से ही बढिया मांग रही लेकिन जब उनके एलोवेरा के जूस दुकानों में आए तो इसने अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। अधिकारियों ने नौटियाल के आग्रह पर उनके लिए एक पॉलीहाउस स्थापित किया और एक कंपोस्ट पिट की व्यवस्था की। नौटियाल ने फूलों को उगाना एक साल पहले शुरू किया और पहले ही सीजन में उन्हें इससे अच्छी आमदनी हुई। इसके बाद उन्होंने आधा हेक्टेअर भूमि को दोगुना करते हुए एक हेक्टेअर भूमि पर गेंदे के फूल उगाए, और अब सभी त्योहारी सीजन और समारोहों में नैटियाल के फूलों की मांग रहती है। उत्तरकाशी जिले के लोग नौटियाल के फूल खरीदने आते हैं क्योंकि वे सस्ते होने के साथ ही ताजा भी होते हैं। देहरादून और ऋषिकेश में 70-90 रू प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाले फूल तुल्यादा में केवल 50-60 रू प्रति किलो मिल जाते हैं। 

गांव के युवाओं को दूंगा रोजगार -बालक राम नौटियाल

विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अधिकारी पंकज नौटियाल ने कहा कि बालक राम नौटियाल एक प्रगतिशील युवा किसान है जो खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहा है। गेहूं और चावल उगाने की जगह उसका जोर फूल और औषधीय पौधे उगाने पर है। नौटियाल को उम्मीद है कि अब अपने औद्योनिकी व्यवसाय में वे अपने गांवों के कई युवाओं को रोजगार दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि मैने गेंदे उगाना शुरू किया और मेरी आमदनी दोगुनी हो गई। बाजार में मेरे फूलों की मांग बढ़ रही है। मुझे विश्वास है कि जल्द ही मैं अपने गांव के कई युवाओं को रोजगार भी दे सकूंगा।

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