
उत्तराखंड के पौड़ी जिले में कुछ साल पहले एक तेंदुए को जिंदा जला देने के मामले में कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है। कोर्ट ने पौड़ी के सपलौड़ी गांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान समेत 5 ग्रामीणों को 1-1 साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोषियों पर 35-35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। आपको बता दें कि ये मामला साल 2022 का है जब आतंक मचाने वाले एक तेंदुए को गांव वालों ने जिंदा जला दिया था।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, साल 2022 में पौड़ी जिले के पाबौ क्षेत्र के भट्टी गांव, सरड़ा, कुल मोरी व सपलौडी सहित कई गावों में तेंदुए ने आतंक मचाया हुआ था। 15 मार्च 20222 को सपलौड़ी गांव की सुषमा देवी को तेंदुए ने शिकार बना लिया। इसके बाद वन विभाग की मदद से तेंदुए को पकड़ लिया गया था। हालांकि, लोगों ने उसे जलाकर मार डाला।
तेंदुए को जिंदा जलाया
गांव की महिला की मौत के अगले दिन वन विभाग ने ग्रामीणों की मांग पर सपलौड़ी गांव में दो पिंजरे लगाए। इनमें से एक एक पिंजरे में एक तेंदुआ कैद हो गया। जब वन विभाग के लोग पिंजरे में कैद तेंदुए को लेने के लिए गांव गए तो वहां बड़ी संख्या में गांव वालों की भीड़ जुट गई। गांव वालों ने उस तेंदुए को जिंदा आग के हवाले कर दिया। इसके बाद वन दरोगा की तहरीर पर पुलिस ने पांच नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
1-1 साल की जेल की सजा
पौड़ी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गुरुवार को ग्राम प्रधान अनिल कुमार नेगी, चोपड़ा गांव के देवेंद्र सिंह, सरडा गांव की सरिता देवी, भुवनेश्वरी देवी व कैलाशी देवी को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने इन सभी को 1-1 साल की जेल की सजा सुनाई है और 35-35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माना न देने पर सभी को 15 दिन के अतिरिक्त कारावास की सजा पूरी करनी होगी। (इनपुट: भाषा)
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