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Uttarakhand News: मिट्टी में मिल जायेगा 'कनॉट प्लेस', जानिए क्या है वजह और मामला?

Uttarakhand News: 40 के दशक में तैयार हुई इस ऐतिहासिक इमारत में 150 से अधिक भवन और 70 से ज्यादा दुकाने बनाई गई थीं। इस बिल्डिंग को देहरादून के नामी-गिरामी धनी और बैंकर्स रहे सेठ मनसाराम कराया था।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Sep 11, 2022 10:30 IST, Updated : Sep 11, 2022 10:30 IST
Dehradun Connaught Place
Image Source : INDIA TV Dehradun Connaught Place

Highlights

  • LIC के कब्जे में है बिल्डिंग
  • आजादी से पहले बनाई गई थी बिल्डिंग
  • बिल्डिंग के निर्माण के लिए लिया गया था लोन

Uttarakhand News: देश की राजधानी दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध मार्केटों में से एक मार्केट है कनॉट प्लेस मार्केट। इसी कनॉट प्लेस मार्केट की तर्ज पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी एक ऐसी ही मार्केट बनवाई गई थी। इस मार्केट की बिल्डिंग को आजादी से साल 1930 में बनवाया गया था। लेकिन अब इसे गिराने की तीतरी शुरू कर दी गई है। 82 सालों से देहरादून की पहचान कनॉट प्लेस मार्केट अब मिट्टी में मिला दी जाएगी।

आजादी से पहले बनाई गई थी बिल्डिंग 

देश में जब ब्रिटिश काल था तब इस बिल्डिंग का निर्माण किया गया था। इस बिल्डिंग को देहरादून के नामी-गिरामी धनी और बैंकर्स रहे सेठ मनसाराम कराया था। इस कनॉट प्लेस की बिल्डिंग के अलावा भी उन्होंने देहरादून में कई इमारतों का निर्माण कराया था। इस ऐतिहासिक इमारत को बनाने का सपना, सेठ मनसाराम ने दिल्ली में स्थित कनॉट प्लेस की बिल्डिंगों की डिजायन से प्रभावित होकर तैयार किया था। 

बिल्डिंग के निर्माण के लिए लिया गया था लोन 

इस बिल्डिंग को बनाने के लिए सेठ मनसाराम ने बॉम्बे से आर्किटेक को बुलाया था, और इसके निर्माण के लिए सेठ मनसाराम ने भारत इन्स्योरेन्स से एक लाख 25 हजार रूपये लोन लिया था। 1930 से 40 के दशक में देहरादून की ये पहली इमारत थी, जिसको तीन मंजिला तैयार किया गया था। इसे पकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बनाया गया था, ताकि वे यहां आकर व्यापार कर सकें। 

LIC के कब्जे में है बिल्डिंग 

40 के दशक में तैयार हुई इस ऐतिहासिक इमारत में 150 से अधिक भवन और 70 से ज्यादा दुकाने बनाई गई थीं। इस इमारत को देहरादून में एक व्यापारिक और व्यवसायिक केंद्र बनाने की मंशा से सेठ मनसाराम ने तैयार किया था, लेकिन बिल्डिंग तैयार होने के बाद सेठ मनसाराम भारत इन्स्योरेन्स का 1 लाख 25 हजार का लोन वापस नहीं कर पाए और बैंक करप्ट हो गये। जिसके बाद उनकी कई सम्पति को भारत इन्स्योरेंश कम्पनी ने अपने कब्जे में ले ली, जिसमे देहरादून के कनॉट प्लेस भी शामिल है, जो बाद में LIC के पास चले गई और तब से अब तक इमारत में रहने वाले लोगों और LIC के बीच लड़ाई चल रही है।

आखिरकार 14 सितम्बर को इस बिल्डिंग को खाली करवाने के साथ ही इसे जमींदोज करने की करवाई भी शुरू होगी। अपने आप में एक सदी के इतिहास का गवाह रहा देहरादून का कनॉट प्लेस अब अतीत के पन्नों में ही सिमट कर मिट्टी में मिल जाएगा।  

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