Highlights
- बाघिन पर से हटा 'आदमखोर' का ठप्पा
- तीन महीने में छह लोगों की ली थी जान
- नजर रखने के लिए क्षेत्र में 50 कैमरे हैं लगे
Uttarakhand: अपने आखिरी हमले के बाद लगातार 55 दिनों तक किसी भी इंसान को निशाना नहीं बनाने वाली एक बाघिन पर लगा 'आदमखोर' का ठप्पा वन विभाग ने हटा दिया है। इस बाघिन ने तीन महीने में छह लोगों की जान ले ली थी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
रामनगर वन मंडल के फतेहपुर रेंज में 21 दिसंबर से 31 मार्च के बीच बाघिन ने छह ग्रामीणों को अपना शिकार बनाया था, जिसके बाद इसे आदमखोर घोषित कर दिया गया था। बाघिन ने पनियाली, दमुवा ढुंगा और बजुरिया हल्दू के घने जंगल में छह ग्रामीणों पर हमला किया और उन्हें मार डाला।
उत्तराखंड के वन बल के प्रमुख (एचओएफएफ) विनोद कुमार सिंघल ने बताया कि हालांकि, यह बाघिन इंसानी रिहायश वाले क्षेत्र में नहीं गई। उन्होंने कहा कि बाघिन को पकड़ने के प्रयास जारी हैं, ताकि उसकी स्वास्थ्य स्थिति की जांच की जा सके। उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए क्षेत्र में 50 कैमरे लगाए गए हैं।
सिंघल ने कहा कि वन विभाग ने अनावश्यक रूप से ग्रामीणों को आस-पास के जंगल में प्रवेश करने से रोकने के लिए वन क्षेत्र की सीमा के पास करीब 20 गांवों के प्रवेश मार्गों पर 120 कर्मियों को तैनात किया है।
हमलावर बाघ को तलाशते हुए तीन महीने
वहीं, वन विभाग की फतेहपुर रेंज में हमलावर बाघ को तलाशते हुए तीन महीने हो चुके हैं. उत्तराखंड बनने के बाद किसी आदमखोर वन्यजीव को ट्रैंकुलाइज करने का यह सबसे लंबा अभियान हो चुका है। जिस पर अभी तक करीब 15 लाख से ज्यादा खर्च हुए हैं।
तमाम प्रयासों के बाद भी कई बार कैमरे में कैद हो चुका बाघ एक बार भी ट्रैंकुलाइज टीम को सामने नहीं दिखा। रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज हल्द्वानी से सटी है। 29 दिसंबर से 31 मार्च तक जंगल में घास की तलाश में गए छह लोगों की बाघ के हमले में जान जा चुकी है। शुरुआती तीन घटनाओं को लेकर वन विभाग हमलावर वन्यजीव को लेकर असमंजस में था, मगर जांच रिपोर्ट मिलने पर स्पष्ट हो गया कि हमले बाघ ने ही किए हैं। जिसके बाद 23 फरवरी से वन विभाग ने जंगल में बाघ को ट्रैंकुलाइज करने का अभियान शुरू किया।