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VIDEO: घरों की दीवारों में बढ़ती दरारें, जमीन से यहां-वहां फूट रही पानी की धार, जोशीमठ में ये क्या हो रहा

जोशीमठ में घरों के अंदर दीवारों पर बड़े बड़े क्रैक आ गए हैं, रास्ते टूट गए हैं। इन्हीं रास्तों के बीच से नाले निकल रहे हैं। उन जगहों से पानी निकल रहा है जहां वर्षों से लोगों ने पानी नहीं देखा था। शहर के 500 से ज्यादा घर जमीन धंसने की वजह से प्रभावित हो गए हैं।

Written By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 05, 2023 8:19 IST, Updated : Jan 05, 2023 8:23 IST
joshimath
Image Source : TWITTER जोशीमठ में जगह-जगह पर फूट रही पानी की धार

चमोली: उत्तराखंड में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जोशीमठ शहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। जोशीमठ के करीब 500 घरों में भूस्खलन की वजह से दरारें आ गई हैं। कई जगहों पर रास्ते भी टूट गए हैं, यहां तक कि बिजली के खंभे भी तिरछे हो गए हैं। हालात इस कदर संवेदनशील हैं कि लोग घरों के बाहर ही रात गुजारने को मजबूर हैं। हर वक्त किसी अनहोनी की आशंका सता रही हैं। त्रासदी झेल रहे स्थानीय नागरिक सरकार के रवैये से भी नाराज हैं। 

500 घरों में क्यों फैली है दिन-रात दहशत?

लोग हाथों में मशालें लेकर सड़कों पर हैं और सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं। हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है। घरों के अंदर दीवारों पर बड़े बड़े क्रैक आ गए हैं, रास्ते टूट गए हैं। इन्हीं रास्तों के बीच से नाले निकल रहे हैं। उन जगहों से पानी निकल रहा है जहां वर्षों से लोगों ने पानी नहीं देखा था। शहर के 500 से ज्यादा घर जमीन धंसने की वजह से प्रभावित हो गए हैं। लोगों के अंदर इस कदर डर बैठ गया है कि माइनस तापमान में भी पूरी रात घरों के बाहर गुजार रहे हैं। हर वक्त अनहोनी का डर लगा हुआ है।

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Image Source : TWITTER
जमीन से फूट रही पानी की धार

धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केन्द्र है जोशीमठ

  • जोशीमठ एक प्राचीन शहर है, जोशीमठ को ज्योतिर्मठ भी कहा जाता है।
  • जोशीमठ में हिन्दुओं की प्रसिद्ध ज्योतिष पीठ स्थित है।
  • 8वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को जोशीमठ में ही ज्ञान प्राप्त हुआ।
  • शंकराचार्य ने सबसे पहले जोशीमठ में ही मठ का निर्माण करवाया।
  • जोशीमठ के बाद ही शंकराचार्य ने बद्रीनाथ मंदिर बनवाया।
  • साथ ही देश के अलग-अलग कोनों में तीन और मठों की स्थापना की।

भारत-चीन LAC से लगते चमोली ज़िले में बसा ये शहर सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसी जगह से बद्रीनाथ, माणा, फूलों की घाटी और हेमकुंड के लिए रास्ता जाता है। इसी वजह से ये धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केन्द्र है। इसके पास ही प्रसिद्ध पर्यटक स्थल औली भी है जहां हर साल गर्मियों और सर्दियों में लाखों टूरिस्ट आते हैं। लेकिन अब ये शहर अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या करीब 4 लाख 55 हजार थी, जो बढ़कर अब दोगुनी हो गई है। अब जमीन धंसने की वजह से कई गांव ऐसे हैं जिनमें रह पाना बेहद मुश्किल हो गया है।

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Image Source : TWITTER
घरों की दीवारों में दरारें

रात को मशाल जुलूस, तो दिन में शहर में चक्का जाम
ज़मीन धंसने की शुरुआत होने के बाद IIT रुड़की और वाडिया इंस्टिट्यूट के साइंटिस्ट इसकी लगातार जांच में जुटे हैं। राज्य और केन्द्र सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। हालात हर गुजरते दिन के साथ खतरनाक होते जा रहे हैं। स्थानीय लोग सरकार के रवैये से नाराज़ हैं यही वजह है कि रात को मशाल जुलूस निकाले जा रहे हैं तो दिन में शहर में चक्का जाम किया जा रहा है। घरों और रास्तों की हालत बता रही है कि खतरा बहुत ज्यादा है इसलिए एक्शन भी तेजी से लेना होगा।

देखें वीडियो-

अधिकारियों ने मकानों में दरारों की जांच की
चमोली जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बुधवार को जोशीमठ के उन हिस्सों का दौरा किया जहां मकानों में दरारें आ गई हैं और उन्होंने शहर के धीरे-धीरे डूबने की आशंका के मद्देनजर लोगों को मदद का आश्वासन दिया। भूवैज्ञानिकों, राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ), अग्निशमन सेवा और स्थानीय पुलिस की टीम के साथ चमोली के अपर जिलाधिकारी और पुलिस उपाधीक्षक ने मारवाड़ी, मनोहर बाग और सिंहधार वार्ड में स्थित घरों और भूमि का वहां जाकर निरीक्षण किया। अधिकारियों ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। टीम ने स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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