हल्द्वानी: उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से 4500 घरों को खाली करने के हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। अतिक्रमण हटाकर रेलवे की जमीन खाली करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले का समाधान निकालने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं की याचिकाओं समेत कुल 6 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिककर्ताओं की दलील थी कि हाईकोर्ट के सामने सही फैक्ट नहीं रखे गए और बनभूलपुरा में जो लोग 100 साल से भी ज्यादा वक्त से रह रहे हैं उन्हें हटाना ठीक नहीं हैं।
'किसी को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता'
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जमीन भले ही सरकारी हो लेकिन क्या प्रभावित परिवारों के पुनर्वास कोई इंतजाम किया गया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता रातों-रात घर नहीं बना सकते, इसलिए सरकार को इस मामले का कोई व्यावहारिक रास्ता निकालना होगा। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि मामले का एक मानवीय पहलू भी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि इस मामले को लटकाकर नहीं रखा जा सकता इसलिए इसका समाधान करना होगा। कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि कब्जे वाली जगह पर आगे कोई भी नया निर्माण नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 7 फरवरी को दी है।
डर के साए में मुस्लिम आबादी
बस्ती में दहशत है, हर चेहरे पर तनाव है और दुआएं की जा रही हैं। यहां दिन-रात प्रदर्शन हो रहे हैं। किसी भी वक्त इस बस्ती में प्रशासन का बुलडोजर एक्शन में आ सकता है ऐसे में सबकी निगाहें आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की ज़मीन पर बनी इस बस्ती को अवैध करार देते हुए खाली करवाने के निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बात नैनीताल जिला प्रशासन ने बस्ती को खाली करवाने की औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं लेकिन स्थानीय कांग्रेस विधायक समेत कई लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
27 दिसम्बर, 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में स्थित गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे। इसके लिए कोर्ट ने प्रशासन को हफ्ते भर का वक्त दिया था। इसी आदेश में कोर्ट ने प्रशासन से वनभूलपुरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लाइसेंसी हथियर भी जमा करवाने को कहा था। दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट भी रेलवे की जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर चिंता जताते हुए इसे जल्द से जल्द खाली करवाने के आदेश दे चुका है। अतिक्रमण हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं जिन पर आज सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में क्या कहा गया है?
इस बस्ती को हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई है उसमें कहा गया है कि बनभूलपुरा के निवासी सालों से इस जगह पर रह रहे हैं, लिहाजा उन्हें यहां से हटाना ठीक नहीं है। रेलवे की जमीन पर डिमार्केशन नहीं हुआ है। रेलवे ने बार-बार केवल 29 एकड़ जमीन की बात कही थी, पर अब उसे क्यों बढ़ाया जा रहा है? एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर आज सबकी निगाहें लगी हैं तो वहीं उत्तराखंड में सरकारी अमले ने भी बस्ती खाली करवाने के लिए कमर कस ली है।
- नैनीताल जिला प्रशासन जमीन खाली करने के लिए नोटिस दे चुका है
- मौके पर पीएसी की 5 कंपनिया तैनात कर दी गई हैं
- 8 जनवरी तक पीएसी की 3 और कंपनी तैनात कर दी जाएंगी
- करीब 4000 से 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा रही है
- सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी मांगी गई हैं
- इलाके को जोन, सेक्टर और सुपरजोन में बांटा गया है
- उत्तराखंड सरकार के अधिकारी स्थानीय लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं
बच्चों को भी प्लेकार्ड्स देकर सड़कों पर उतारा
बनफूलपुरा इलाके के तीन मोहल्ले गफूर बस्ती, ढ़ोलक बस्ती और इंदिरा नगर के सबसे ज्यादा घर हाईकोर्ट के आदेश की जद में आए हैं। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को जहां सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें हैं वहीं महिलाओं के साथ साथ अब छोटे-छोटे बच्चों को भी प्लेकार्ड्स देकर सड़कों पर उतार दिया गया है। स्थानीय निवासी दावा कर रहे हैं कि वो इस जमीन पर 100 से भी ज्यादा वर्षों से रह रहे हैं और यहां पर रहने के ऐवज में सरकार को बाकायदा टैक्स भी देते हैं।