उत्तराखंड के भूधंसाव प्रभावित जोशीमठ में विस्थापित परिवारों के लिए उद्यान विभाग की जमीन पर बन रहे ‘मॉडल प्री-फैब्रिकेटेड’ मकानों का निर्माण अब पूरा हो गया है। जोशीमठ के लोगों के लिए जो मकान तैयार हो रहे हैं, उनकी तस्वीरें सिर्फ इंडिया टीवी के पास एक्सक्लुसिव हैं। बता दें कि जनवरी में जोशीमठ की जेपी कॉलोनी में अंडरग्राउंड स्रोत से पानी का रिसाव शुरू हो गया था और भूधंसाव होने से जोशीमठ के कई क्षेत्रों में घरों में दरारें पड़ गयी थीं। इसके बाद कई परिवारों को अपना मकान छोड़कर राहत शिविरों में या दूसरी जगहों पर जाना पड़ा। गहरी दरारों के कारण आसपास के घरों के लिए खतरे का कारण बन गए दो होटलों और कुछ मकानों को प्रशासन ने गिरा दिया था।
100 मकान तैयार करने का है टारगेट
जोशीमठ में जमीन धंसने के बाद उतराखण्ड सरकार ने प्री-फैब्रिकेटेड मकान बनाने के लिए ऑर्डर दिए थे। प्री-फैब्रिकेटेड घरों का निर्माण उसके पहले से तैयार अलग-अलग ढांचों को एक जगह असेंबल कर किया जाता है। तपोवन के पास ढाक जगह पर तकरीबन 25 सेंपल मकान तैयार किए गए हैं। सरकार की ओर से अभी 100 मकान तैयार करने को कहा गया है। जो कांट्रेक्टर इन मकानों को तैयार कर रहे हैं वो आईआईटी रुड़की के लिए कोविड के समय अस्पताल तैयार कर चुके है।
प्रभावितों के लिए 25 सेंपल मकान तैयार
जोशीमठ में आपदा के बाद वहां के लोगों के लिए तपोवन और करीब 30 किलोमीटर आगे पीपलकोटी में इस तरह के मकान तैयार करवाए जा रहे हैं जो भूकंप और आपदा जैसी स्थिति में मजबूत रहेंगे। 25 सेंपल मकान तैयार किए गए हैं। वहीं इस बीच, भूधंसाव प्रभावित परिवारों के बीच मुआवजे का वितरण भी शुक्रवार से शुरू हो गया है और अब तक प्रभावित मकान मालिकों को मुआवजे के रूप में 1.1 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
जोशीमठ के लिए 1,000 करोड़ रुपये का बजट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा में कहा था कि जोशीमठ में भूधंसाव सरकार के लिए एक चुनौती थी लेकिन केंद्र के सक्रिय सहयोग से इससे कुशलतापूर्वक निपट लिया गया। राज्य में चल रहे बजट सत्र में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी की और नियमित रूप से जानकारी लेते रहे।" उन्होंने कहा कि विधानसभा में पेश प्रदेश के बजट में भी जोशीमठ के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। धामी ने कहा कि जोशीमठ सहित प्रदेश के ऐसे सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा जो ठोस चट्टान पर स्थित नहीं है।
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