मथुरा: हिंदू धर्म में ब्रज भूमि की अपनी ही महिमा है। कहा जाता है कि ब्रज की भूमि पर स्वयं देवता निवास करते हैं। यहां हजारों मंदिर हैं। इन्हीं हजारो मंदिरों में एक मंदिर भगवान जगन्नाथ का है। यहां मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के सन्ना के बाद भगवान की बीमार पड़ जाते हैं, जिस वजह से अगले कई दिनों तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और भगवान का इलाज किया जाता है। इस दौरान भगवान अपने भक्तों को दर्शन भी नहीं देते हैं।
पूर्णिमा को एक घंटे तक कराया गया अभिषेक
बता दें, ये मंदिर वृंदावन के परिक्रमा रोड ज्ञानगुदड़ी के पास स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के रूप में जाना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को भगवान को जल यात्रा कराई गई। जगन्नाथ जी को विभिन्न नदियों के जल, जड़ी-बूटी और फलों के रस से एक घंटे तक अभिषेक कराया गया। इसके बाद जगन्नाथ जी बीमार हो गए। अब 15 दिन मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। इन 15 दिनों में आयुर्वेद पद्धति से जगन्नाथ जी का इलाज होगा। इसके बाद 20 जून को रथ यात्रा के रूप में नगर भ्रमण कर भक्तों को जगन्नाथ जी दर्शन देंगे।
इस दौरान नहीं लगेगा चावल का भोग
जब भगवान की तबियत खराब रहती है, उस दौरान उन्हें चावल का भोग भी नहीं लगाया जाता। 16 दिन बाद सूर्योदय के समय भगवान का दूध-दही और घी के साथ अन्य चीजों से उनका अभिषेक होता है। इसके बाद भगवान को गाय के दर्शन भी कराए जाते हैं, फिर इसके बाद भक्तों के दर्शन के लिए कपाट खोले जाते हैं। बता दें कि इस बार वृंदावन में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन 1 जुलाई को किया जाएगा, जिसमें शाम के समय भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े ही धूमधाम और बैंड बाजों के साथ नगर में निकाली जाएगी।