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यूपी: बाराबंकी के 'आम' ने न्यूजीलैंड और जापान को बनाया मुरीद, 50 से ज्यादा किस्में, 300 रुपए किलो तक है कीमत

यूपी के बाराबंकी के आमों का डंका अब जापान, न्यूजीलैंड और खाड़ी देशों में भी बजने लगा है। बाराबंकी में आमों की 50 से ज्यादा किस्में हैं, जिनकी कीमत 30 रुपए से लेकर 300 रुपए किलो तक है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Jun 24, 2023 17:04 IST, Updated : Jun 24, 2023 18:24 IST
Barabankis mango
Image Source : INDIA TV बाराबंकी के आम हो रहे फेमस

बाराबंकी: आमों को फलों का राजा कहा जाता है। शायद ही ऐसा कोई होगा, जिसने अपने जीवन में आम का स्वाद नहीं लिया होगा लेकिन यूपी के बाराबंकी के आमों का स्वाद काफी पॉपुलर हो रहा है। यह केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना डंका बजा रहा है। इसके स्वाद के दीवाने न्यूजीलैंड और जापान भी बन चुके हैं। वैसे तो लखनऊ के पास मलिहाबाद का आम भी काफी पॉपुलर है लेकिन इस बार बाराबंकी के आम की भी काफी डिमांड है। 

13,000 हेक्टेयर में होती है बागवानी, किस किस्म की ज्यादा डिमांड

बाराबंकी जिले में करीब 13,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागबानी की जाती है। यहां लजीज आमों की 50 से ज्यादा किस्में हैं, जिसमें हुस्नआरा, गुलाबखास, याकूति, दशहरी और आम्रपाली जैसे खास आमों की ज्यादा डिमांड रहती है। इन आमों को खाड़ी देशों के अलावा न्यूजीलैंड और जापान तक भेजा जा रहा है। 

आम का बाकी किस्मों में दशहरी, बनारसी लंगड़ा, चौसा, फजली, बंबई ग्रीन, बंबई, अलफांजो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू, दशहरी, मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल, गौरजीत, बांबेग्रीन, सफेदा, सुरखा, कपूरी और थाईलैंड के आम भी यहां मौजूद हैं। 

क्या है कीमत

इन आमों में सबसे सस्ता दशहरी आम है, जिसकी कीमत 30 रुपए किलो है, वहीं सबसे महंगा हुस्नआरा आम बिकता है। इसकी कीमत 300 रुपए किलो तक है। बागवानों और आम व्यापारियों का कहना है कि उन्हें काफी खुशी है कि उनके यहां के आमों का अब विदेशों में भी डंका बज रहा है।

बाराबंकी जिले के याकूती, दशहरी, गुलाबखास, हुस्नआरा और आम्रपाली समेत कई और खास रसीले आमों को खास डिमांड पर इस बार न्यूजीलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक पहुंचाया जा रहा है। इन आमों को जिले का उद्यान विभाग, लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित मैंगो हाउस तक पहुंचा रहा है। फिर उसके बाद इन्हें वहां से ट्रीटमेंट कर सुरक्षित तरीके से विदेश भेजा जा रहा है। बाराबंकी के आमों की विदेशों से आ रही इतनी डिमांड से बागवानों, व्यापारियों के साथ-साथ जिले का उद्यान विभाग भी काफी उत्साहित है।

बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी ने क्या कहा?

बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यहां का मसौली, सतरिख और पूरेडलई क्षेत्र मैंगो बेल्ट कहा जाता है। जहां हर साल दो लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आम की पैदावार होती है। यहां के हुस्नआरा, गुलाबखास और यकुति आम की मांग काफी है। अभी तक यहां के आमों की लखनऊ, गोरखपुर, अयोध्या और बहराइच के साथ नेपाल की मंडियों तक ही डिमांड थी। लेकिन इस बार यह थाइलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक जा रहा है। जिससे बागवानों और व्यापारियों को काफी अच्छा मुनाफा भी हो रहा है। उनका कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि जिले के आमों का डंका अब पूरी दुनिया में बजने लगा है।

वहीं बाराबंकी में आम का कारोबार करने वाले नियाज अहमद ने बताया कि बाराबंकी में आमों की किस्में ज्यादा हैं। हम लोग मलिहाबाद के आमों को भी टक्कर दे रहे हैं। वहीं किसान मोहम्मद आलम शाह और मोहम्मद अनीस ने कहा कि अगर असली आम देखना हो तो वो बाराबंकी में ही मिलेगा। आम की जो वैराइटी यहां मिलेंगी वो कहीं और नहीं मिलेंगी। (इनपुट: दीपक निर्भय चिराग)

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