Highlights
- UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर चीन फिर लगा सकता है अड़ंगा
- भारत के समर्थन में उतरे चार देश
- यूएन के छह प्रमुख अंगों में से एक है UNSC
भारत के रास्ते में चीन हर बार आता है, क्या इस बार भी यही होगा। यह सवाल बड़ा है। युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में पांच में से चार देश आ गए, लेकिन चीन का रुख अभी भी साफ नहीं है। केंद्र सरकार में विदेश राज्य मंत्री वी. मुर्लीधरण ने लोकसभा में दी जानकारी में बताया कि UNSC के पांच स्थायी सदस्यों फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका और चीन में से चीन को छोड़ कर बाकी के चार देशों ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। मुर्लीधरण ने बताया कि सरकार भारत के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
भारत सरकार पूरा ज़ोर लगा रही है
युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर भारत सरकार पूरा ज़ोर लगा रही है। बायलेटरल से लेकर मल्टि-लेटरल और यहां तक कि हाई लेवल मीटिंग तक, मोदी सरकार हर वह संभव कोशिश कर रही है जिससे भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता मिल जाए। विदेश राज्यमंत्री ने आगे कहा कि पिछले साल पीएम मोदी के साथ व्हाइट हाउस में द्वीपक्षीय वार्ता के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी UNSC, NSG यानि न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में भारत के स्थायी सदस्यता का समर्थन किया था।
चीन क्या कह रहा है?
युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर चीन फिलहाल सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रहा है। हालांकि, चीन यह ज़रूर मानता है कि UNSC में रिफॉर्म की जरूरत है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पिछले साल ही एक वार्ता में युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में रिफॉर्म का समर्थन किया था। चीन मानता है कि रिफॉर्म से संगठन की अथॉरिटी और एफिकेसी बढ़ेगी जिससे विकासशील देशों को एक प्लेटफॉर्म मिल सकेगा। चीन मानता है कि छोटे देशों को भी डिसिजन मेकिंग प्रोसेस में योगदान मिलना चाहिए।
भारत की बढ़ती जनसंख्या भी 'हक' में
संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक व आर्थिक मामलों के विभाग (DESA) के जनसंख्या प्रखंड के निदेशक जॉन विल्मोथ ने सोमवार को कहा कि सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के रूप में उभरने से भारत का ‘कुछ चीजों पर दावा’ हो सकता है। रिपोर्ट को जारी करने के अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत के चीन से आगे निकलने के प्रभाव से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘दुनिया में सबसे बड़ी आबादी होने का क्या महत्व है? मुझे लगता है कि चीजों पर आपके कुछ दावे हैं। मुझे आश्चर्य है कि चारों ओर चर्चा के संदर्भ में क्या होगा। संयुक्त राष्ट्र में भूमिकाएं और सुरक्षा परिषद के स्थायी पांच सदस्यों की भूमिकाएं।’ दरअसल, भारत 2023 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पछाड़ देगा और उसकी आबादी अनुमान के मुताबिक, 2050 में 1.668 अरब होगी, जो सदी के मध्य तक चीन की अनुमानित 1.317 अरब आबादी से बहुत आगे है।
1945 में हुई थी यूएनएससी की स्थापना
युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल यानी यूएनएससी की स्थापना साल 1945 में हुई थी। ये यूएन के छह प्रमुख अंगों में से एक है। यूएनएससी का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में है। इसके सदस्यों की बात करें, तो वह दो तरह के होते हैं। स्थायी और अस्थायी। जिनकी कुल संख्या 15 होती है। इनमें 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका कार्यकाल दो साल का है। जबकि 5 स्थायी सदस्य हैं। ये पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और ब्रिटेन हैं।