Highlights
- असंसदीय शब्दों की लिस्ट जारी
- लिस्ट पर विपक्ष का हंगामा
- संसद में दलाल, तानाशाह जैसे शब्द नहीं बोल सकते
Unparliamentry Words: केंद्र सरकार ने 14 जुलाई को एक असंसदीय शब्दों की पूरी लिस्ट निकाली है। जिन्हें अब से संसद में बोलने से सांसदों को बचना चाहिए। लोकसभा के सचिवालय की ओर से जारी बुकलेट में यह पूरी लिस्ट दी गई है। सरकार के इस कदम से विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और सरकार के इस फैसले को लेकर खूब ट्रोल किया। विपक्ष के कुछ लोगों ने कहा कि सरकार विरोधियों का मुंह बंद करना चाहती है और अपनी आलोचना में एक शब्द भी नहीं सुनना चाहती। शायद इसी वजह से सरकार ने भ्रष्ट, तानाशाह, एशेम्ड, एब्यूज़्ड, बिट्रेड और हिप्पोक्रेसी जैसे कई शब्दों को अनपार्लियामेंट्री घोषित कर दिया है।
कांग्रेस के बड़े नेता भी इसी भेड़चाल में
सोशल मीडिया पर चर्चा में रहे असंसदीय शब्दों को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के बड़े-बड़े नेताओं ने सरकार की आलोचना शुरु कर दी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस,आम आदमी पार्टी और लेफ्ट की पार्टियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट करके सरकार पर हमला बोला। राज्यसभा में विपक्ष के नेता, मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो यह तक कह दिया कि सरकार को जितने शब्दों पर पाबंदी लगानी है, लगा ले... विरोधी दलों के नेता पार्लियामेंट में इन शब्दों का इस्तेमाल करते ही रहेंगे।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि नए भारत की नई डिक्शनरी
वहीं प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा कि सरकार की मंशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं उसके भ्रष्टाचार को 'मास्टरस्ट्रोक' बोला जाए। "2 करोड़ रोजगार", "किसानों की आय दुगनी" जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं; ‘थैंक यू' बोला जाए।
PS: संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था?
ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार तानाशाही पर उतर आई है। वो अपनी आलोचना बर्दाश्त ही नहीं कर पा रही है। इसीलिए अब विपक्ष की आवाज बंद की जा रही है। आम आदमी पार्टी ने भी असंसदीय शब्दों को लेकर सरकार पर हमला बोला। पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि ये तो सबका मुंह बंद करने का आदेश है। जो सरकार की तरफ़ से जारी किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सच सुनना ही नहीं चाहती। सरकार डरती है।
संसद में ये शब्द नहीं बोल सकते
काला दिन | काला बाज़ारी |
ख़रीद-फरोख़्त | दंगा |
दलाल | सेक्सुअल हैरेसमेंट |
खालिस्तानी | चरस पीते हैं |
तानाशाही | विनाश पुरुष |
गद्दार | तानाशाह |
अराजकतावादी | गिरगिट |
घड़ियाली आंसू | घूस |
ये वाक्य भी संसद में नहीं बोल सकते
- आप मेरा समय ख़राब कर रहे हैं
- आप हम लोगों का गला घोंट दीजिए
- चेयर को कमज़ोर कर दिया है
- ये चेयर अपने सदस्यों का संरक्षण नहीं कर पा रही है
- आप चेयर को बदनाम तो न कीजिए
- आपके मापदंड दोहरे हैं
स्पीकर ने कहा हमने ऐसी कोई लिस्ट जारी ही नहीं की
जब विवाद बहुत बढ़ गया तो स्पीकर ओम बिरला सामने आए और उन्होंने कहा कि जो कहा जा रहा है, वैसा कुछ हुआ ही नहीं है। अनपार्लियामेंट्री वर्ड्स की कोई नई लिस्ट नहीं आई है। जो नए शब्दों की लिस्ट आई है, जिन्हें अनपार्लियामेंट्री बताया गया है, वो उन शब्दों की लिस्ट है जो पहले लोकसभा, राज्यसभा या किसी राज्य की विधानसभा की कार्यवाही से हटाए गए हैं। जिन्हें लोकसभा के स्पीकर, राज्यसभा के चेयरमैन या किसी विधानसभा के स्पीकर ने अनपार्लियामेंट्री माना है। इन शब्दों की जानकारी हर साल सबको दी जाती है, जिससे नए सासंदों को पता रहे है कि सदन में किन शब्दों के उपयोग से बचना है। ओम बिरला ने साफ़ कहा कि किसी भी शब्द को बैन नहीं किया गया है।
असंसदीय शब्द पर सरकार के तर्क
- ये पहले से प्रतिबंधित शब्दों का संकलन है
- कोई नया शब्द असंसदीय नहीं घोषित हुआ
- UPA सरकार के दौरान ये शब्द हटाए गए थे
- ऐसी सूची संसद हर साल जारी करती है
विरोधी दल के नेता दिनभर से सरकार पर हमला कर रहे थे। बीजेपी चुप थी लेकिन जैसे ही स्पीकर ने स्थिति साफ की तो फिर बीजेपी के नेता भी मैदान में आ गए। संबित पात्रा ने कहा कि अब उन लोगों को माफी मांगनी चाहिए जो दिनभर से देश को गुमराह कर रहे थे।