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Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता के लिए बनेगी उच्च स्तरीय समिति, धामी कैबिनेट ने दी मंजूरी

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने अपनी पहली बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्णय किया। सीएम धामी ने बताया कि इस समान नागरिक संहिता का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिये समान कानून लागू करने का होगा चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों । 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 25, 2022 6:45 IST
Dhami cabinet approves High-level committee for Uniform Civil Code
Image Source : PUSHKAR SINGH DHAMI (PTI) Dhami cabinet approves High-level committee for Uniform Civil Code

Highlights

  • समान नागरिक संहिता के लिए समिति गठित
  • उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने गुरुवार को दी मंजूरी
  • सर्वसम्मति से विशेषज्ञों की बनेगी कमेटी

नई दिल्ली: शपथ ग्रहण के एक दिन बाद गुरुवार को उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने अपनी पहली बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्णय किया। मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया को बताया कि 12 फरवरी को उन्होंने जनता के सामने भाजपा की सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता लागू करने का संकल्प लिया था और आज मंत्रिमंडल ने इसके लिए सर्वसम्मति से विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का फैसला लिया है। 

सीएम धामी ने कहा कि हमारा राज्य हिमालय और गंगा का राज्य है। अध्यात्म और धार्मिक विरासत का केंद्र बिंदु है। हमारी समृद्ध सैन्य विरासत है और यह दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से भी लगा है। धामी ने कहा कि ऐसे में जरूरी है कि उत्तराखंड में एक ऐसा कानून होना चाहिए जो सभी के लिए समान हो। मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि इस समान नागरिक संहिता का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिये समान कानून लागू करने का होगा चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों । 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति में सभी हितधारक, विधि विशेषज्ञ, न्यायविद और अलग-अलग क्षेत्रों के अनुभवी लोगों को शामिल किया जाएगा। समिति समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करेगी और धामी सरकार उसे जल्द से जल्द लागू करेगी। ये समिति उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित की जाएगी । समान नागरिक संहिता को संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम बताते हुए धामी ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य सरकारों के लिए इस बात का प्रावधान है कि वे अपने प्रदेशों में इस प्रकार की व्यवस्था लागू कर सकती हैं और केंद्र को प्रस्ताव भेज सकती हैं। 

धामी ने अपने इस निर्णय में गोवा को प्रेरणास्रोत बताते हुए मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि उत्तराखंड में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बनेगी । हालांकि, कानून विशेषज्ञों की इस मुद्दे पर राय अलग है कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता पर कानून बना सकती है या नहीं। 

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