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Today's History: भारतीय रेलवे के इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज है 20 अगस्त, एक हादसे में हुई थी 305 लोगों की मौत

Today's History: हादसे में सैकड़ों लोग इन बोगियों में पिस गए। जैसे-जैसे सूरज निकला, हादसे की भयावहता भी सामने आने लगी। ट्रैक के आसपास शरीर के अंग बिखरे पड़े थे।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: August 20, 2022 12:13 IST
Train Accident- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Train Accident

Highlights

  • 20 अगस्त 1995 को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में हुआ था हादसा
  • पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस में हुआ था हादसा
  • इस हादसे में 305 लोग मारे गए और 393 घायल हुए

Today's History: भारतीय रेलवे के इतिहास में 20 अगस्त एक काले दिन के रूप में दर्ज है। इस तारीख को एक ऐसा हादसा हुआ था कि सुनकर ही लोगों की रूह कांप गई थी। इस हादसे में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 300 से ज्यादा मौतें हुईं थीं और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। आज ही के दिन 20 अगस्त, 1995 को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के बीच हुई भयानक टक्कर हुई थी। 

रात के करीब 2 बजकर 46 मिनट बजे दिल्ली जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस फिरोजाबाद से निकली थी। ट्रेन को चला रहे थे लोको पायलट SN सिंह। उन्होंने देखा कि ट्रैक पर नीलगाय खड़ी है। इससे पहले कि सिंह ट्रेन को रोक पाते कि ट्रेन नीलगाय से जा टकराई। इस टक्कर की वजह से ट्रेन के वैक्यूम ब्रेक एक्टिव हो गए और ट्रेन अपनी जगह पर खड़ी हो गई। 

केबिनमैन ने बताया था कि ट्रैक क्लियर है 

इसके बाद फिरोजाबाद स्टेशन के पश्चिमी केबिन पर असिस्टेंट स्टेशन मास्टर एसबी पांडेय ने  केबिनमैन गोरेलाल से फोन करके ट्रैक के क्लियरेंस बारे में पूछा? गोरेलाल ने बताया की टैक क्लियर है। स्टेशन मास्टर ने पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को हरी झंदी दे दी, जिसे उसी ट्रैक से गुजरना था जिस पर कालिंदी एक्सप्रेस खड़ी थी।

Train Accident

Image Source : FILE
Train Accident

पुरुषोत्तम एक्सप्रेस कालिंदी एक्सप्रेस में पीछे से जा घुसी

100 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रफ्तार से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस फिरोजाबाद स्टेशन से निकली। थोड़ा ही आगे चलकर ड्राइवर ने देखा कि ट्रैक पर एक ट्रेन पहले से खड़ी है। ड्राइवर के पास इमरजेंसी ब्रेक लगाने का ऑप्शन था, लेकिन वो जानते थे कि इतनी रफ्तार में ब्रेक लगाए तो ट्रेन के सभी डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाएंगे। उनके पास अब ज्यादा कुछ करने का ऑप्शन नहीं था। कुछ ही सेकेंड्स बाद पुरुषोत्तम एक्सप्रेस कालिंदी एक्सप्रेस में पीछे से जा घुसी। ट्रेन की बोगियों में सो रहे सैकड़ों लोगों को जागने का मौका ही नहीं मिला। बोगियां एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गईं।

सैकड़ों लोग इन बोगियों में पिस गए। जैसे-जैसे सूरज निकला, हादसे की भयावहता भी सामने आने लगी। ट्रैक के आसपास शरीर के अंग बिखरे पड़े थे। अगले तीन दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 305 लोग मारे गए और 393 घायल हुए। 

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