तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की बात सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन ने देवालय की पवित्रता के लिए खास तैयारी की है। सोमवार (23 सितंबर) को तिरुमाला मंदिर में संप्रोक्षण और शांति होम का आयोजन किया जाएगा। ये दोनों आयोजन यह सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं कि अगर प्रसाद में पशु की चर्बी के कारण मंदिर में कोई अपवित्रता हुई है, तो उसे दूर किया जा सके। इसके साथ ही मंदिर के अधिकारी ने बताया है कि हर साल मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए पवित्रोत्सव का आयोजन किया जाता है।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी शामला राव ने कहा, "एक जांच पैनल स्थापित किया गया है जो सुगंध, स्वाद और बनावट के मापदंडों पर खाद्य नमूनों का मूल्यांकन करेगा। भगवान वेंकटेश्वर के लिए आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों या धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान कोई अगर 'दोष' हुआ हो तो मंदिर की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए कि हर साल टीटीडी 'पवित्रोत्सव' आयोजित करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भक्तों में विश्वास बना रहे और वे शांत मन से प्रार्थना करें कल एक दिवसीय 'संप्रोक्षण' और 'शांति होम' आयोजित किया जाएगा। इसके साथ हम आशा कर रहे हैं कि देवालयम की पवित्रता बहाल हो जाएगी।"
क्या है मामला?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर चिंता जाहिर की थी। इसके बाद प्रसाद की जांच की गई और इसमें इस्तेमाल होने वाले घी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। गुजरात की एक लैब से सामने आई रिपोर्ट के अनुसार प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट थी। इस घी में पशु की चर्बी पाई गई। इन बातों का खुलासा भी चंद्रबाबू नायडू ने ही किया। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उनसे रिपोर्ट मांगी है। नायडू ने पिछली सरकार को प्रसाद में मिलावट के लिए जिम्मेदार ठहराया।
घी में कैसे हुई मिलावट
तिरुपति मंदिर को लंबे समय से कर्नाटक की सरकारी कंपनी घी की सप्लाई करती थी। हालांकि, कुछ समय पहले कंपनी ने कीमत कम होने की बात कहकर घी देने से मना कर दिया। ऐसे में पांच अलग-अलग कंपनियों को घी का टेंडर दिया गया। इन्हीं पांच में से एक कंपनी के घी में पशु की चर्बी होने की बात कही जा रही है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि जांच की रिपोर्ट के साथ घी सप्लाई किया गया था और उसमें कोई मिलावट नहीं थी।
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