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जैव विविधता के कारण भारत में विलुप्त हो सकती हैं ये 29 प्रजातियां, IUCN ने बनाई लाल सूची

29 Species at Risk of Extinction in India: जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के कारण भारत में 29 प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। इससे वैज्ञानिकों में चिंता व्याप्त हो गई है। समय रहते यदि इस खतरे को नहीं रोका गया तो कई प्रजातियां इतिहास का हिस्सा बन जाएंगी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: December 10, 2022 20:45 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो

29 Species at Risk of Extinction in India: जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के कारण भारत में 29 प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। इससे वैज्ञानिकों में चिंता व्याप्त हो गई है। समय रहते यदि इस खतरे को नहीं रोका गया तो कई प्रजातियां इतिहास का हिस्सा बन जाएंगी। प्रकृति संरक्षण के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संघ (आइयूसीएन) ने इसे लाल सूची में डाल दिया है।

इस सूची में भारत में पाया जाने वाला सफेद गालों वाला डांसिंग फ्रॉग (मेंढक), अंडमान स्मूथहाउंड शार्क और येलो हिमालयन फ्रिटिलरी (एक प्रकार का औषधीय पौधा) उन 29 नयी प्रजातियों में शामिल हैं जो खतरे में हैं और विलुप्त होने की कगार पर हैं। आइयूसीएन की लाल सूची के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार यहां कनाडा में सीओपी15 जैव विविधता सम्मेलन के दौरान इस सूची को जारी किया गया। सूची के इन नवीनतम आंकड़ों में चेतावनी दी गई है कि अवैध और अस्थिर रूप से मछली पकड़ने, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और बीमारियों सहित कई खतरों की वजह से अंडमान स्मूथहाउंड शार्क जैसी समुद्री प्रजातियां नष्ट हो रही हैं। शुक्रवार को जारी की गई आइयूसीएन की लाल सूची दुनिया की जैव विविधता की स्थिति के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह प्रजातियों के वैश्विक विलुप्त होने के जोखिम की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है - और संरक्षण लक्ष्यों को परिभाषित करने और सूचित करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

भारत की 239 अन्य प्रजातियां भी रिस्क पर

दुनिया भर के 15,000 से अधिक वैज्ञानिक और विशेषज्ञ आइयूसीएन के इस आयोग का हिस्सा हैं। उन्होंने पाया कि भारत की भूमि, मीठे पानी और समुद्रों में पौधों, जानवरों और कवक की 9,472 से अधिक प्रजातियों में से 1,355 को लाल सूची के लिए खतरे में माना जाता है, जिन्हें गंभीर रूप से लुप्तप्राय, लुप्तप्राय या विलुप्त होने की श्रेणी में माना गया है। आइयूसीएन द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में विश्लेषण की गई 239 नयी प्रजातियों को इस लाल सूची में शामिल किया गया है। यानि कि इनके भी नष्ट होने का खतरा है।

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