Highlights
- दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में रिकवरी रेट 150 प्रतिशत पहुंचा
- यूपी में रिकवरी रेट 5 प्रतिशत बढ़कर 79 प्रतिशत तक पहुंच गया है
- 23 जनवरी को चुनाव आयोग कोरोना की स्थिति का रिव्यू करेगा
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। आज यानी 19 जनवरी को समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी का हाथ थाम लिया है। बीजेपी जॉइन करने के बाद अपर्णा ने योगी और जेपी नड्डा से मुलाकात की। दूसरी तरफ, कोरोना के बढ़ते मामलों के देखते हुए चुनाव आयोग ने रैलियों, नुक्कड़ सभाओं समेत ऐसे सभी कैंपेन पर रोक लगा दी थी, जिससे कोरोना फैल सकता है।
यूपी में चुनाव से पहले कोरोना वायरस के मरीजों से जुड़े ऐसे आंकड़े सामने आ रहे हैं जो किसी को भी हैरान कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने यूपी में सात चरणों में चुनाव करवाने का फैसला किया था। दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में तो रिकवरी रेट हैरान कर देने वाला है। क्योंकि इन दोनों जगहों पर करीब 150 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इतनी तेजी से हो रही रिकवरी पर किसी को भी संदेह हो सकता है, लेकिन इतनी तेज रिकवरी रेट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन जिलों में कोरोना खत्म होने की तरफ आगे बढ़ रहा है।
ऐसा ही कुछ पूरे उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है क्योंकि यहां रिकवरी रेट 5 प्रतिशत बढ़कर 79 प्रतिशत तक पहुंच गया है। बता दें, उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव आयोग ने रैली पर रोक को 22 जनवरी तक बढ़ा दिया है। साथ ही आयोग ने राज्यों को कोविड और आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन कराने का भी निर्देश दिया था।
वहीं, कुछ शर्तों के साथ चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को थोड़ी ढील भी दी थी। आयोग ने राजनीतिक दलों को इंडोर मीटिंग के लिए 300 लोग अधिकतम या हाल की 50 प्रतिशत कैपिसिटी तक छूट दी थी। बड़ी रैलियों और रोड शो पर रोक इससे पहले आयोग ने 15 जनवरी तक लगाई थी। अब चुनाव आयोग रैलियों को लेकर 23 जनवरी को रिव्यू करेगा।