Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. इस जगह पर शादी के लिए नहीं मिल रही लड़कियां, घोड़ों पर सवार होकर 50 दूल्हों ने एक साथ निकाली बारात, कलेक्टर से कहा, 'हमें दुल्हन दो'

इस जगह पर शादी के लिए नहीं मिल रही लड़कियां, घोड़ों पर सवार होकर 50 दूल्हों ने एक साथ निकाली बारात, कलेक्टर से कहा, 'हमें दुल्हन दो'

इस जगह पर लड़कों की शादी के लिए लड़कियां कम पड़ गई हैं। जिससे हताश होकर यहां के युवाओं ने एक मार्च निकाला जिसमें वह दूल्हा बनकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपने लिए दुल्हन की मांग की।

Edited By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Updated on: December 22, 2022 19:00 IST
घोड़ों पर सवार होकर 50 दूल्हों ने एक साथ निकाली बरात।- India TV Hindi
घोड़ों पर सवार होकर 50 दूल्हों ने एक साथ निकाली बरात।

भारत में शादियां काफी धूम-धाम से मनाई जाती है। शादियों को लेकर लोग काफी उत्साहित भी रहते हैं। इसे यादगार बनाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते? बैंड-बाजे को लेकर खूब तैयारियों के साथ शादी में तरह-तरह के रीति रिवाज निभाए जाते हैं। लेकिन उन लोगों पर क्या बीतती होगी जिनके यहां शादी के लिए लड़कियां ही ना हों। ऐसे में उन लड़कों का क्या दोष? उन्हें भी अपने जीवन को आगे बढ़ाने का पूरा हक है। लेकिन आपको बता दें कि एक जगह ऐसी भी है जहां लड़कों की शादी के लिए लड़कियां कम पड़ गई हैं। इसका विरोध करने के लिए वहां के युवा-अधेड़ और यहां तक की बच्चे हाथ में तख्तियां लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और अपने लिए दुल्हन की मांग की। 

कलेक्ट्रेट पहुंचकर दुल्हन की मांग की

महाराष्ट्र के सोलापुर में जवान से लेकर अधेड़ तक के करीब 50 लोग गाजे-बाजे के साथ शेरवानी पहने घोड़े पर सवार होकर करीब एक किमी लंबा जुलूस निकाला। यह जुलूस कलेक्टर कार्यालय पहुंचा और सभी ने अपने लिए दुल्हन की मांग की। इस जुलूस को ज्योति क्रांति परिषद नाम के एक NGO ने आयोजित किया था। इस जुलूस ने लोगों को ऐसे समस्या से परिचय करवाया जिसे सोलापुर और अन्य जिलों के ग्रामीण इलाकों में दरकिनार किया जा रहा है। सोलापुर और आस-पास के इलाकों में लड़कियों के लिए भारी कमी है। इस जुलूस का मकसद अपनी समस्याओं के प्रति सरकार का ध्यान खींचना। 

ऐसे निकाला गया जुलूस

मार्च में शामिल सभी दूल्हों ने शेरवानी या फिर कुर्ता-पायजामा पहने थे और गले में तख्तियां लटकाए हुए थे। तख्तियों पर लिखा था, "एक पत्नी चाहिए, एक पत्नी! मुझसे शादी करने के लिए कोई भी एक लड़की दे सकता है!", "सरकार, होश में आओ और हमसे बात करो, तुम्हें हमारी दुर्दशा पर ध्यान देना होगा!" 12 साल के बच्चे विक्की सैडिगल ने अपनी तख्ती पर लिखा था, "मेरी शादी होगी या नहीं?"

ये है शादी न होने की वजह

मार्च को आयोजित करने वाली NGO जेकेपी के अध्यक्ष रमेश बारस्कर ने बताया कि इस मार्च में शामिल होने वाले सभी लोग कुंवारे थे जिनकी अभी शादी नहीं हुई थी। इन सभी लोगों की उम्र लगभग 25-40 के बीच है। ये लोग शादी न होने की वजह से हाताश हैं। रैला में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर दूल्हे पढ़े-लिखे हैं और मीडिल क्लास फैमिली से संबंध रखते हैं। इनमें से कुछ लोग किसान हैं और कुछ प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोग हैं। 

मार्च में शामिल होने वाले सभी लोगों की उम्र लगभग 25-40 के बीच थी।

Image Source : INDIATV
मार्च में शामिल होने वाले सभी लोगों की उम्र लगभग 25-40 के बीच थी।

बारस्कर ने आगे कहा कि सोलापुर और उसके आस-पास की जगहों पर मेल-फीमेल रेशियो के बराबर न होने की वजह से यहां के पुरूषों को शादी करने के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। जबकि ये पुरूष हर तरह से सक्षम हैं। इन जगहों के पुरूषों की हालत तो ऐसी है कि वह किसी भी लड़की से शादी करने के लिए तैयार हैं। उनके लिए जाति, धर्म, विधवा, अनाथ, कुछ मायने नहीं रखता। मार्च सोलापुर कलेक्ट्रेट पर पहुंचकर समाप्त हुआ। यहां दूल्हों में डीएम को अपनी पीड़ा बताई और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाम कलेक्टर मिलिंद शंभरकर को ज्ञापन सौंपा। 

समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और भी खराब होगी - डॉ. गणेश राख

पुणे के डॉ. गणेश राख

Image Source : INDIATV
पुणे के डॉ. गणेश राख

बेटी बचाओ आंदोलन शुरू करने वाले पुणे के डॉ. गणेश राख ने बताया कि भारत में 1000 लड़कों पर मात्र 940 लड़कियां ही हैं। वहीं महाराष्ट्र में मेल-फीमेल का रेशियो 1,000 लड़कों पर 920 लड़कियों का है जबकि केरल में 1,000 लड़कों पर 1,050 लड़कियां हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में स्थिति और भी भयावह है। अगर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और भी बद्तर हो सकती है। 

शादी के लिए लड़की न मिलने का दर्द

मार्च में हिस्सा लेने वाले 40 वर्षीय लव माली ने बताया कि उनका परिवार लगभग 20 सालों से उनके लिए दुल्हन खोज रहा है, लेकिन लड़की नहीं मिल रही है। वहीं 39 वर्षीय किरण टोडकर ने कहा कि वह पिछले 20 साल से हर मैट्रीमोनियल साइटों और सोशल मीडिया पर अपनी फोटो, बायो डाटा और फैमिली डिटेल्स अपलोड कर रहे हैं, लेकिन आज तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी। यहां तक कि उन्होंने सोलापुर में धार्मिक इवेंट और मैच-मेकिंग कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया, लेकिन कोई लड़की नहीं मिली।

शादी के लिए बेकरार एक और 36 साल का युवक गोरखा हेदे ने बताया, "मेरा परिवार 15 साल से दुल्हन ढूंढ रहा है। वे किसी भी लड़की को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। मैं स्थानीय पुजारियों की मदद से दुल्हन खोजने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। इस जुलूस के बाद मुझे उम्मीद है कि शायद मेरी शादी हो जाए"। वहीं, शादी न होने से निराश प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले एक अधिकारी ने बताया कि कैसे उनके माता-पिता लोगों को सड़कों पर, बसों में, मंदिरों में या सामाजिक समारोहों में रोकते हैं, और कहते हैं कि बेटे की शादी के लिए एक लड़की चाहिए।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement